गुप्तकालीन स्थापत्य कला

इस काल की कला की दो प्रमुख विशेषताएं प्रतीत होती है। प्रथम, विदेशी प्रभाव से मुक्त होकर इस काल में मौलिक रूप से भारतीय कला का विकास हुआ। दूसरा, कलाकारों ने सौन्दर्य प्रदर्शन और अलंकरण में विदेशी के बदले भारतीय अभिप्रायों को स्थान दिया।

  • स्थापत्य कलाः गुप्तकालीन स्थापत्य कला के पांच रूप हैं: गुहावास्तु, मंदिर, स्तूप, विहार और स्तंभ।
  • गुहावास्तुः ब्रा“मण धर्म के प्राचीनतम् गुहा मंदिर गुप्त काल में निर्मित किए गए। ये मध्य प्रदेश के उदयगिरि की पहाड़ियों में हैं, जिनका निर्माण चट्टानों को काटकर किया गया था। इसके अतिरिक्त अजंता एलोरा, औरंगाबाद एवं बाघ की कुछ गुफाएं भी इस काल की है। अजन्ता की 29 गुफाओं में सिर्फ दो, सं. 19 और 26 का संबंध इस काल से है।
  • मंदिरः मंदिरों के अवशेषों से वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिलते हैं। वास्तव में मंदिरों का निर्माण गुप्तकाल में ही प्रारंभ हुआ। मंदिरों (वैष्णव) का निर्माण सामान्यतः एक ऊंचे चबूतरे पर होता था, जिन पर चढ़ने के लिए चारों ओर से सीढ़ियां बनायी जाती थी। सबसे भीतर स्थित ‘गर्भगृह’ में मूर्ति की स्थापना की जाती थी।
  • स्तूपः स्थापत्य कला के रूप में स्तूपों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। गुप्त राजाओं के युग में भी दो बौद्ध स्तूपों- सारनाथ का धामेख स्तूप और राजगृह स्थित जरासंघ की बैठक का निर्माण किया गया।
  • विहारः विहार में बौद्ध भिक्षु निवास करते थे। गुप्तकालीन विहारों के ध्वंसावशेष सारनाथ और नालंदा से मिले हैं। सारनाथ के विहार नं. 3 तथा 4 में प्राप्त सामग्रियों एवं गवाक्ष से इस बात की पुष्टि होती है।
  • स्तंभः गुप्तकालीन स्तंभ चार रूपों में उपलब्ध हैः कीर्ति-स्तंभ, ध्वज-स्तंभ, स्मारक-स्तंभ और सीमा-स्तंभ। इलाहाबाद का अशोक स्तंभ समुद्रगुप्त की प्रशस्ति या कीर्ति का वर्णन करता है। मेहरोली का लौह स्तंभ गुप्त काल के स्तंभ निर्माण कला का सुंदर उदाहरण है।
  • मूर्तिकलाः गुप्तकाल में मूर्तिकला का भी काफी विकास हुआ। इस काल की अधिकांश मूर्तियां हिन्दू देवी-देवताओं से संबंधित हैं। गुप्तकाल की तीन बुद्ध मूर्तियां महत्वपूर्ण हैं: सारनाथ की बुद्ध मूर्ति, मथुरा की बुद्ध मूर्ति तथा सुल्तानगंज की बुद्ध मूर्ति। इनमें से सारनाथ स्थित बुद्ध मूर्ति ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ मुद्रा में है।
  • चालुक्य स्थापत्य कलाः महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एलोरा नामक पहाड़ी पर हिन्दू गुहा मंदिर प्राप्त होते हैं। इनका निर्माण राष्ट्रकूट राजाओं के शासन काल (7वीं तथा 8वीं शदी) में किया गया। एलोरा का ‘कैलाश मंदिर’ अपनी उत्कृष्टतम शैली के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसका निर्माण कृष्ण प्रथम ने किया था।
  • स्थापत्य कलाः बादामी के चालुक्यों ने अपने शासनकाल के दौरान स्थापत्य कला के क्षेत्र में काफी संख्या में मंदिर निर्माण करवाया। बादामी में पाषाण को काटकर चार स्तंभयुक्त मंडप बनाये गये हैं। इनमें से तीन हिन्दू एवं एक जैन धर्म से संबंधित है। ऐहोल को ‘मंदिरों का नगर’ कहा जाता है। अधिकांश मंदिर विष्णु तथा शिव के हैं। ऐहोल के हिन्दू गुहा मंदिरों में सबसे सुंदर ‘लाड़खान’ का सूर्य मंदिर है। उत्तरी शैली में बना ‘पापनाथ का मंदिर’ और दक्षिणी शैली में निर्मित ‘विरूपाक्ष’ एवं ‘संगमेश्वर मंदिर’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है।