भारत-भूटान

सीमा से सम्बद्ध चुनौतियां: सीमा विवाद जैसे कि हाल में उठा डोकलाम मुद्दा जिसकी चिकन नेक से निकटता खतरे को बढ़ाती है।

  • उग्रवाद- बोडो, ULFA आदि विभिन्न समूह शरण के लिए भूटान में छिप जाते हैं। हालांकि भूटान की सेना द्वारा उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाती है।
  • भूटानी भांग (कैनाविस), शराब और वन उत्पादों जैसी वस्तुओं की तस्करी।
  • लोगों और वाहनों के मुक्त आवागमन के परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड आंदोलन जैसे मुद्दों को बढ़ावा मिलता है।
  • एक देश से दूसरे में प्रवासन से जनसांख्यिकी के परिवर्तन का भय उत्पन्न होता है। प्रवासियों पर निर्वनीकरण, शिकार और वन्यजीव तस्करी जैसे आरोप भी लगाये जाते हैं।

सरकार द्वारा आरंभ की गयी पहलें

द्विपक्षीय सहयोग- सीमा प्रबंधन और सुरक्षा पर भारत-भूटान समूह के रूप में सचिव स्तर पर एक द्विपक्षीय तंत्र अस्तित्व में है। यह खुली सीमा का लाभ उठाने का प्रयास करने वाले समूहों से दोनों देशों के समक्ष उत्पन्न होने वाले संभावित खतरे का आकलन कर रहा है।

  • भूटान को विद्रोहियों का शरण स्थल बनने से रोकने के लिए भूटानी सेना के साथ सहयोग।
  • 1000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के साथ डोकलाम के निकट भूटान सीमा के साथ सिक्किम में नई सीमा पोस्टों की स्थापना।
केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भूटान और म्यांमार सीमा से 16 किमी की हवाई दूरी के भीतर तथा नेपाल सीमा से 15 किलोमीटर की हवाई दूरी के भीतर प्रमुख सीमा अवसंरचना परियोजनाओं के लिए सामान्य अनुमोदन प्रदान किया है। इससे प्रायः अनुमोदन की धीमी गति के कारण प्रभावित होने वाले अवसंरचनात्मक विकास को गति प्रदान की जा सकेगी।