राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा 2019

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा डॉ. के- कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 2017 में गठित समिति ने 31 मई 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

  • शिक्षा नीति का लक्ष्यः भारत में केंद्रित शिक्षा प्रणाली है, सभी को उच्च गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करके, राष्ट्र को एक न्यायसंगत और जीवंत ज्ञान आधारित समाज में रुपांतरित करने में प्रत्यक्ष योगदान करेना।
  • मसौदा नीति की मुख्य अनुशंसाएं: मसौदा नीति की अनुशंसाओं में विद्यालय शिक्षा, उच्चतर शिक्षा, शिक्षा अभिशासन एवं विनियमन, शिक्षक प्रबंधन तथा शिक्षा में प्रौद्योगिकी को शामिल किया गया है।

1. स्कूली शिक्षा

  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षाः इसके तहत छब्म्त्ज् द्वारा नए पाठ्यक्रम की रुपरेखा तैयार किया जाना है, जो एक 0-3 वर्ष के आयु वर्ग के लिए तथा दूसरा 3-8 वर्ष के आयु वर्ग के लिए तैयार किया जाएगा।
  • इसके तहत आंगनवाड़ियों और प्री-स्कूल का विस्तार करना तथा जहां तक संभव हो उन्हें एक ही स्थान पर लाना। राज्य सरकारें प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा के लिए पेशेवर रूप से अर्ह शिक्षकों का कैडर तैयार करेगा। प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा को शामिल करने के लिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम का विस्तार करना।
  • पाठ्यक्रम और अध्यापनः पाठ्यक्रम 5$3$3$4 शैली को अपनाना, जिसमें प्रारंभिक चरण के 5 वर्ष में प्री-प्राइमरी स्कूल के 3 वर्ष तथा 2 वर्ष कक्षा 1 एवं 2 के लिए; तैयारी संबंधी चरण के 3 वर्ष कक्षा 3, 4 और 5 के लिए; माध्यमिक स्तर के 3 वर्ष कक्षा 6, 7 और 8 एवं उच्च चरण के 4 वर्ष कक्षा 9, 10, 11 और 12 के लिए।
  • इसके तहत अधिक समग्र, अनुभवात्मक,चर्चा-आधारित और विश्लेषण-आधारित अधिगम का अवसर प्रदान करने हेतु प्रत्येक आवश्यक विषय सामग्री में पाठयक्रम के भार को कम करना।
  • विद्यालय बीच में छोड़ने वाले विद्यार्थियों का पुनः नामांकनः परिवहन व्यवस्था, छात्रवास व छात्रों की सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ करके और सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं परामर्शदाताओं के माध्यम से स्कूल न जाने वाले बच्चों का पता लगाकर शिक्षा तक उनकी पहुंच संबंधी अंतराल को कम करना है।
  • बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञानः कक्षा 1-5 में प्रारंभिक भाषा और गणित विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कक्षा 5 और उसके बाद के प्रत्येक विद्यार्थियों को 2025 तक मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
  • समान और समावेशी शिक्षाः कोई भी बच्चा जन्म या पृष्ठभूमि की परिस्थितियों के कारण सीखने और उत्कृष्टता प्राप्त करने का कोई अवसर न खोए। इस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र भी बनाए जाएंगे।
  • शिक्षकः शिक्षकों को मजबूत, पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से भर्ती किया जाएगा, पदोन्नति योग्यता-आधारित होगी, बहु-स्रोत आवधिक प्रदर्शन मूल्यांकन होगा।

2. उच्च शिक्षा

  • संस्थागत पुनःसंरचनाः विभिन्न विषयों के कार्यक्रमों के साथ बहु-विषयक संस्थानों का विकास करना, अनुसंधान और शिक्षण पर समान रूप से ध्यान केंद्रीत करना, उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षण पर ध्यान देना तथा साथ ही अनन्य रूप से उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षण के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • उदार शिक्षा का विकास करनाः सभी छात्रों के लिए साझा पाठयक्रम और एक या दो क्षेत्र के विशेषज्ञता के साथ स्नातक पाठ्यक्रम को पुनःतैयार करना और साथ ही लिबरल आर्ट्स में चार वर्ष के स्नातक कार्यक्रमों को शुरू करना।
  • अनुसंधानः गुणवत्तायुक्त अनुसंधान के लिए निधि उपलब्ध कराना तथा परामर्श, प्रोत्साहन और क्षमता निर्माण करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना करना, जिसके तहत चार (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान और कला मानविकी) प्रमुख प्रभाग शामिल किए जाएंगे।
  • व्यावसायिक शिक्षाः विद्यार्थियों की व्यावसायिक तत्परता पर ध्यान देन और उन्हें संस्थागत प्रक्रियाओं में शामिल करना। यह सम्पूर्ण शिक्षा का एक अभिन्न अंग होगी, जिसका उद्देश्य 2025 तक सभी शिक्षार्थियों के कम से कम 50 प्रतिशत तक व्यावसायिक शिक्षा का पहुंच प्रदान करना।

3. शिक्षा अभिशासन एवं विनियमन

  • आयोग का गठनः शिक्षा से संबंधित लक्ष्य के विकास, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और पुनरीक्षण के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग और राज्य शिक्षा आयोग की स्थापना की जाएगी।
  • विद्यालय संबंधी विनियमनः इसके तहत एक सन्निहित क्षेत्र में सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान करने के लिए पब्लिक स्कूलों के समूह के रूप एक कॉम्प्लेक्स की स्थापना की जाएगी।
  • प्रत्येक राज्य में एक स्वतंत्र राज्य विद्यालय विनियामकीय प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो सरकारी और निजी स्कूलों के लिए समान बुनियादी मानक को निर्धारित करेगा और साथ ही प्रत्येक जिले में विद्यालय प्रणाली की निगरानी के लिए जिला शिक्षा परिषद की स्थापना की जाएगी।
  • उच्चतर शिक्षा संस्थान संबंधी व्यवस्थाः सभी सरकारी और निजी उच्चतर शिक्षा संस्थान, एक स्वतंत्र बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के माध्यम से शासित किए जाएंगे, जो पूर्ण स्वायत्ततायुक्त एवं संस्थानों के लिए सर्वोच्च निकाय होगा।

4. शिक्षक प्रबंधन

  • इसके तहत शिक्षकों को जिले के आधार पर भर्ती करके प्रथमतः स्कूल कॉम्प्लेक्स में नियुक्त किया जाएगा तथा इसके बाद उन्हें विद्यालय की आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग विद्यालयों में नियुक्त किया जाएगा।
  • शिक्षकों को विद्यालय समय के दौरान उनकी शिक्षण क्षमताओं को प्रभावित करने वाले गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • शिक्षकों के लिए प्रत्येक वर्ष न्यूनतम 50 घंटे लगातार चलने वाले प्रोफेशनल डेवलपमेंट ट्रेनिंग को अनिवार्य पूरा करने का प्रावधान किया गया है, साथ ही उच्चतर शिक्षा संस्थान में प्रोफेशनल डेवलपमेंट ट्रेनिंग कार्यक्रम पर बल देना चाहिए।

5. शिक्षा में प्रौद्योगिकी

  • शिक्षा में प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के द्वारा आभासी प्रयोगशालाओं को स्थापित किया जाएगा, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में भी विभिन्न विषयों के प्रयोगशालाओं का विकास संभव हो सकेगा। इस मिशन के तहत प्रौद्योगिकी के समावेशन, परिनियोजन और उपयोग पर निर्णयन को सुविधाजनक बनाने हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम को स्थापित किया जाएगा।
  • संस्थानों, शिक्षकों और विद्यार्थियों से संबंधित सभी रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने के लिए नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ एजुकेशनल डेटा स्थापित किया जाएगा।