निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन

दिसंबर, 2020 को उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में नवगठित 9 जिलों को छोड़कर शेष जिलों में तय समयसीमा के अनुसार स्थानीय निकाय चुनाव आयोजित करने की अनुमति दे दी।

  • पीठ ने आदेश दिया कि इन 9 जिलों में परिसीमन प्रक्रिया (delimitation process) पूरी होने के चार महीने के भीतर चुनाव होने चाहिएं।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद ए- बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने इन 9 जिलों में परिसीमन अभ्यास को पूरा करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दायर एक याचिका को मंजूरी दी।

परिसीमन का अर्थ

परिसीमन का शाब्दिक अर्थ है किसी देश या प्रांत में विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की क्रिया या प्रक्रिया।

  • परिसीमन का काम एक उच्चाधिकार निकाय को सौंपा जाता है। ऐसे निकाय को परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) या सीमा आयोग के रूप में जाना जाता है।
  • परिसीमन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, लोकसभा में विभिन्न राज्यों को आवंटित सीटों की संख्या तथा किसी राज्य की विधान सभा की कुल सीटों की संख्या में भी परिवर्तन हो सकता है।
  • परिसीमन का उद्देश्य जनसंख्या के समान हिस्सों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करना तथा भौगोलिक क्षेत्रों का उचित विभाजन करना है, ताकि किसी भी राजनीतिक दल को इससे कोई अतिरिक्त फायदा न हो।

परिसीमन कितनी बार किया गया है?

परिसीमन यानी सीमाओं का पुर्ननिर्धारण पूर्ववर्ती जनगणना के आधार पर किया जाता है। वर्ष 1950-51 में इस तरह की पहली परिसीमन प्रक्रिया चुनाव आयोग की म से राष्ट्रपति द्वारा संचालित की गई थी।

  • वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम के प्रभावी होने के बाद, वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में स्थापित परिसीमन आयोगों द्वारा इस तरह के परिसीमन अभ्यास किए गए।
  • यद्यपि वर्ष 1981 एवं वर्ष 1991 की जनगणना के आधार पर कोई परिसीमन नहीं किया गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वर्ष 1976 में सरकार ने 2001 की जनगणना के परिणाम आने तक परिसीमन को स्थगित कर दिया था।
  • परिसीमन को अस्थायी रूप से स्थगित इसलिए किया गया ताकि राज्यों के परिवार नियोजन कार्यक्रम लोकसभा में उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को प्रभावित न करें तथा परिवार
  • नियोजन को प्राथमिकता देने वाले विशेषकर दक्षिणी राज्य लोक सभा में अपेक्षाकृत प्रतिनिधित्व कम होने के कारण हतोत्साहित न हों।
  • जुलाई 2002 से 31 मई, 2008 तक चलने वाला अंतिम परिसीमन अभ्यास वर्ष 2001 की जनगणना पर आधारित था। इसमें विधानसभाओं और संसद में सीटों की कुल संख्या, जिनका निर्धारण 1971 की जनगणना के अनुसार किया गया था, में कोई बदलाव नहीं किया गया।
  • यद्यपि लोकसभा और विधानसभाओं में सीटों की संख्या में परिवर्तन पर रोक को वर्ष 2001 की जनगणना के बाद हटा दिया जाना था, लेकिन एक अन्य संशोधन द्वारा इसे वर्ष 2026 तक के लिये स्थगित कर दिया गया।
  • इसे इस आधार पर उचित बताया गया कि वर्ष 2026 तक पूरे देश में एकसमान जनसंख्या वृद्धि दर हासिल हो जाएगी।

परिसीमन आयोग

  • भारत में परिसीमन आयोग एक उच्चाधिकार निकाय है जिसके आदेशों को कानूनी शक्ति प्राप्त है तथा इन्हें किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
  • इस संबंध में ये आदेश भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट तारीख से लागू होते हैं।
  • इसके आदेशों के प्रति संबंधित लोक सभा और राज्य विधानसभा सदन के समक्ष रखी जाती हैं, लेकिन उन्हें उनमें कोई संशोधन करने की अनुमति नहीं होती।
  • भारत में ऐसे परिसीमन आयोगों का गठन 4 बार किया गया है- 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम, 1952 के तहत, 1963 में परिसीमन आयोग अधिनियम, 1962 के तहत, 1973 में परिसीमन अधिनियम, 1972 के तहत तथा 2002 में परिसीमन अधिनियम, 2002 के तहत।