ब्लैक फ़ंगस

मई 2021 में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में वृद्धि को देखते हुए, कुछ राज्यों ने इसे महामारी रोग अधिनियम, 1897 के अंतर्गत महामारी घोषित कर दिया है।

म्यूकोरमाइकोसिस से संबंधित प्रमुख्य तथ्यः भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (IRMR) द्वारा परिभाषित किया गया है, म्यूकोरमाइकोसिस एक कवकीय संक्रमण (fungal Infection) है।

  • म्यूकोरमाइकोसिस संक्रामक नहीं है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति से इसके संक्रमण की संभावना न्यून है। ये लोगों और जंतुओं के बीच प्रसारित नहीं होते हैं।
  • यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है, जो अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए पूर्णतः दवा अथवा चिकित्सकीय उपचार पर आश्रित हैं (म्यूकोरमाइकोसिस कम प्रतिरोधकता और मधुमेह से पीड़ित लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है)।
  • इसे आमतौर पर ब्लैक फंगस कहा जाता है क्योंकि इससे प्रभावित ऊतक का परिगलन (गल जाना) होना प्रारंभ हो जाता है और वह काला पड़ जाता है। यहां तक कि इससे कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है।
  • पूर्व में जाइगोमाइकोसिस कहा जाने वाला यह रोग एक गंभीर लेकिन दुर्लभ कवकीय संक्रमण है, जो म्यूकोरमाइसिटेस नामक फफूंद समूह के कारण उत्पन्न होता है।
  • यह फफूंद संपूर्ण वातावरण में, विशेष रूप से मृदा और पत्तियों, खाद के ढेर, या सड़ी हुई लकड़ी जैसे क्षयशील कार्बनिक पदार्थों में उत्पन्न होता है।
  • आमतौर पर म्यूकोरमाइकोसिस की उत्पत्ति हेतु सर्वाधिक उत्तरदायी कवकों के उदाहरण में राइजोपस प्रजातियां, म्यूकोर प्रजातियां, राइजोम्यूकोर प्रजातियां, सिंसेफलास्ट्रम प्रजातियां आदि शामिल हैं।
  • अधिकांश लोग प्रतिदिन सूक्ष्म कवक बीजाणुओं के संपर्क में आते हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोगों को प्रभावित करता है। कोई भी व्यक्ति कवक बीजाणुओं के अंतः श्वसन, निवेशन या अंतर्ग्रहण से संक्रमित हो सकता है।