‘जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021’

दिसम्बर, 2021 में ‘जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021’ को संसद में प्रस्तुत किया गया है।

ये संशोधन राष्ट्रीय हितों से समझौता किये बिना कुछ प्रावधानों को अपराध से मुक्त करने और अनुसंधान, पेटेंट और वाणिज्यिक उपयोग सहित जैविक संसाधनों कीश्रृंखला में अधिक विदेशी निवेश लाने का प्रयास करते हैं।

  • इसमें 2002 के अधिनियम में कुछ नियमों को शिथिल करने का प्रस्ताव किया है ताकि अनुसंधान और पेटेंट को बढ़ावा दिया जा सके और साथ ही स्थानीय समुदायों को विशेष रूप से औषधीय गुणों वाले बीज जैसे संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम बनाया जा सके।
  • यह विधेयक पंजीकृत आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करने वाले लोगों को कुछ उद्देश्यों के लिए जैविक संसाधनों तक पहुंच हेतु राज्य जैव विविधता बोर्डों को पूर्व सूचना देने से छूट देने का प्रयास करता है।

अन्य तथ्यः 2021 के राइट लाइवलीहुड अवार्ड्स विजेता दिल्ली स्थित पर्यावरण संगठन ‘लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट’ (LIFE) ने कहा है कि वर्तमान स्वरूप में बिल ‘बायोपायरेसी’ (bio piracy) का मार्ग प्रशस्त करेगा।

  • जैव विविधता अधिनियम, 2002 जैविक विविधता के संरक्षण और जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान के व्यावसायिक उपयोग से होने वाले मौद्रिक लाभों के उचित, समान बंटवारे के लिए अधिनियमित किया गया था।

जैव विविधता अभिसमय (CBD)

  • जैव विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD), जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है जो वर्ष 1993 से लागू है। इसके 3 मुख्य उद्देश्य हैं:
  • जैव विविधता का संरक्षण।
  • जैविक विविधता के घटकों का सतत् उपयोग।
  • आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का उचित और न्यायसंगत वितरण।