जैव-विविधता संरक्षण अधिनियम, 2002

जैव-विविधता संरक्षण हेतु केंद्र सरकार ने 2000 में एक राष्ट्रीय जैव-विविधता संरक्षण क्रियान्वयन योजना शुरु की जिसमें गैर सरकारी संगठनों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों तथा आम जनता को भी शामिल किया गया।

  • इसी प्रक्रिया में सरकार ने जैव विविधता संरक्षण कानून 2002 पास किया जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्ष 2002 में पारित इस कानून का उद्देश्य है-जैविक विविधता की रक्षा की व्यवस्था की जाए। उसके विभिन्न अंशों का टिकाऊ उपयोग किया जाए, तथा जीव-विज्ञान संसाधन ज्ञान के उपयोग का लाभ सभी में बराबर विभाजित किया जाये।
  • अधिनियम में, राष्ट्रीय स्तर पर जैव-विविधता प्राधिकरण बनाने का भी प्रावधान है, राज्य स्तरों पर राज्य जैव विविधता बोर्ड स्थापित करने तथा स्थानीय स्तरों पर जैव-विविधता प्रबंधन समितियों की स्थापना करने का प्रावधान है, ताकि इस कानून के प्रावधानों को ठीक प्रकार से लागू किया जा सके।

जैव विविधता कानून (2002) केंद्रीय सरकार को निम्न दायित्व भी सौंपता हैः

  • उन परियोजनाओं का पर्यावरणीय प्रभाव जांचना जिनसे जैव विविधता को हानि पहुंचने की आशंका हो।
  • जैव तकनीकि से उत्पन्न प्रजातियों के जैव विविधता तथा मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के लिए नियंत्रण तथा उपाय सुनिश्चित करना।
  • स्थानीय लोगों की जैव विविधता संरक्षण की परम्परागत विधियों की रक्षा करना।
  • जैव विविधता अधिनियम (2002) जैव विविधता संरक्षण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।