इसे सरकारी स्कूलों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2016 में प्रारम्भ किया गया था। इसके तहत भारतीय प्रवासी, सेवानिवृत्त व्यिक्त; जैसे-शिक्षक, सरकारी अधिकारी, रक्षा कर्मी, महिलाएं, जो गृहिणी हैं, सह-शैक्षिक गतिविधियों (जैसे पढ़ना, रचनात्मक लेखन, सार्वजनिक लेखन आदि) कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों के लिए अपनी सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।