ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2019 संसद द्वारा पारित कर दिया गया है और इसे 5 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई है। यह उन लोगों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है, जो लैंगिक पहचान के दोहरी धारणा (binary notions of gender) की पुष्टि नहीं करते हैं।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति
यह अधिनियम एक ऐसे व्यक्ति के रूप में एक ट्रांसजेंडर को परिभाषित करता है, जिसका जन्म के समय लिंग उसके कथित लिंग के साथ मेल नहीं खाता है। इसमें ट्रांस-पुरुष, ट्रांस-महिलाएं (ऐसे व्यक्ति को सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी या हार्माेन थेरेपी या लेजर थेरेपी या इस तरह की अन्य थेरेपी से गुजरना पड़ा है), मध्यलिंगी (intersex) विभिन्नता वाले व्यक्ति, जेंडर क्वीर (queer) और ऐसे सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति, जैसे किन्नर, हिजड़ा, अरावनी और जोगता शामिल हैं।
पृष्ठभूमि
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मुख्य विशेषताएं
अधिनियम में निम्नलिखित प्रावधान हैं:
अधिनियम का प्रभाव
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आलोचना
यह अधिनियम किसी व्यक्ति को स्वयं की लैंगिक पहचान निर्धारित करने का अधिकार नहीं देता है, केवल प्रमाण-पत्र के आधार पर किसी व्यक्ति के ‘ट्रांसजेंडर’रूप में पहचानने की अनुमति देता है। इसके लिए उन्हें सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी से गुजर कर प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन करना होता है।
सुझाव
ऊपर उल्लिखित समस्याओं को दूर करने के लिए सभी हितधारकों के सक्रिय समर्थन और सर्वसम्मति की आवश्यकता है, ताकि मूल संरचना में वैध या प्रासंगिक परिवर्तन किया जा सके।