दिव्यांग बच्चों की शिक्षा

भारतीय शिक्षा की स्थितिः यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा दिव्यांग बच्चों की रिपोर्ट जारी की गई है; जिसमें शिक्षा के अधिकार के संबंध में दिव्यांग बच्चों (CWDs) की उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं

भारत के बच्चों की कुल जनसंख्या का 1.7% भाग दिव्यांग बच्चों का है।

  • 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 75% और 5-19 वर्ष की आयु वर्ग के 25% दिव्यांग किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नहीं जाते हैं और उनका नामांकन स्कूली शिक्षा के प्रत्येक स्तर के साथ निरंतर रूप से गिरता है।

दिव्यांगों की शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए सिफारिशें

  • ऐसे बच्चों की शिक्षा से सम्बंधित विशिष्ट चिंताओं को दूर करने के लिए, विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (RPWD Act), 2016 का संरेखण शिक्षा का अधिकार अधिनियम के साथ किया जाना चाहिए।
  • इसके अंतर्गत सभी दिव्यांगों को शामिल किया जाना चाहिए।
  • दिव्यांगों से सम्बंधित प्रभावी योजना बनाने के लिए विश्वसनीय डेटा होना चाहिए।
  • दिव्यांगों से संबंधित सभी शिक्षा कार्यक्रमों का प्रभावी समन्वय और अभिसरण (convergence) होना चाहिए।
  • दिव्यांगों के सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा से सम्बंधित बजट आवंटन में वृद्धि करना।
  • दिव्यांगों की शिक्षा के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
  • दिव्यांगों के विविधतापूर्ण शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को आवश्यक प्रशिक्षण देना।
  • दिव्यांगजनों के प्रति रूढि़वादी सोंच को दूर करना और सकारात्मक स्थिति का निर्माण करना।
  • स्कूली शिक्षा में विकलांग बालिकाओं के साथ लैंगिक भेदभाव होना।
  • एक से अधिक विकलांगता वाले बच्चों के बीच स्कूलों में कम उपस्थिति, मानसिक बीमारियां और मानसिक मंदता का होना।

चुनौतियां

बड़ी संख्या में विकलांग बच्चों को स्कूलों में लाने की कई सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बावजूद अभी बड़ा अंतराल बना हुआ है।

  • विकलांग बच्चों का हाई स्कूल छोड़ने की उच्च दर(12%) का होना।
  • एक-चौथाई विकलांग बच्चों ने कभी भी किसी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश नहीं लिया।

सुझाव

यद्यपि कई कार्यक्रमों और योजनाओं के द्वारा स्कूलों में दिव्यांगजनोंकी नामांकन दर में वृद्धि हो रही है, लेकिन एजेंडा 2030 के लक्ष्यों, विशेष रूप से सतत विकास लक्ष्य 4, को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक उपायों की आवश्यकता है।