यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया और 5 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। इसका उद्देश्य देश में बाल यौन शोषण के बढ़ते मामलों को हतोत्साहित करना है।
मुख्य विशेषताएं
मौत की सजाः नाबालिगों के खिलाफ अपराध के लिए सख्त सजा और नाबालिगों के यौन उत्पीड़न से सम्बंधित मामलों में मौत की सजा का प्रस्ताव किया गया है। इसे माखी सिंह (1983) और देवेंद्र पाल सिंह (2002) मामलों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों का हवाला देकर उचित ठहराया गया, जिसमें अदालत ने कहा है कि दुर्लभतम मामलों में ही मृत्युदंड दिया जा सकता है। इस प्रकार विधेयक का प्रयोजन एक निवारक (deterrent) प्रभाव डालना है।
आलोचना
बाल यौन शोषण पर अंकुश लगाने में कठोर दंड की अक्षमता; उदाहरण के लिए, निर्भया मामले के बाद बहुत कड़े कानून बनाए गए, लेकिन ये कानून अपराध की दर को रोकने में विफल रहे हैं, िजसकी दर में लगातार वृद्धि हुई है।
सुझाव
राज्य को बाल यौन शोषण के पीडि़तों के इलाज का पूरा खर्च वहन करना चाहिए।