राष्ट्रीय गोकुल मिशन

राष्ट्रीय गोकुल मिशन दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है, जिसे स्वदेशी गो-जातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के माध्यम से प्राप्त किया जाना है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार एवं उद्यमिता की संभावनाओं को बढ़ाता है। कृषि मंत्रालय के अधीन कार्यरत पशुपालन और डेयरी विभाग मिशन के लिए नोडल ऐजेंसी है।

  • बोवाइन ब्रीडिंग के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रमः कृत्रिम गर्भाधान कवरेज के विस्तार के माध्यम से दुधारू पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि करना।
  • स्वदेशी नस्लों का संवर्द्धन करना।
  • गो-जातीय उत्पादकता पर राष्ट्रीय मिशन।

मुख्य विशेषताएं

स्वदेशी मवेशियों के नस्ल सुधार कार्यक्रम को शुरू कर आनुवंशिक कमी को पूरा करना और पशुधन को बढ़ाना।

  • देशी गो-जातीय वंश के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना।
  • श्रेष्ठ देशी नस्लों जैसे गिर, साहीवाल, राठी, देवनी, थारपारकर, लाल सिंधी आदि का उपयोग करके अन्य कम उत्पादक मवेशियों को उन्नत करना।
  • स्वदेशी नस्लों के रोग मुक्त और उच्च आनुवंशिक गुणवाले सांडों के नस्ल को वितरित करना।
  • पशुपालकों को बढ़ावा देने के लिए प्रजनक समाजों और गोकुल ग्रामों की स्थापना करना।

प्रगति

गो-जातीय उत्पादकता पर राष्ट्रीय मिशन के तहत स्वदेशी नस्लों के भ्रूण का स्थानांतरण कार्यक्रम बड़े पैमाने पर संचालित किया जा रहा है।

  • सरकार ने दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्रों एक इटारसी, होशंगाबाद और दूसरा चिंतला देवी, नेल्लोर में स्थापना की है।
  • स्वदेशी नस्लों के लिए राष्ट्रीय गो-जातीय जीनोमिक केंद्र की स्थापना।
  • तकनीकी और गैर-तकनीकी मानवशक्ति को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जैसे MAITRI कार्यक्रम के द्वारा ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
  • मिशन के तहत पशु उत्पादकों को दुग्ध उत्पादकों से जोड़ने के लिए एक पोर्टल ‘ई-पशुहाट’ शुरू किया गया है।
  • पशुपालन क्षेत्र की अवसंरचना आवश्यकता के वित्तपोषण के लिए डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF) और पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) की स्थापना।
  • सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा मछली पालन और पशुपालकों के लिए विस्तारित की गई है।

सुझाव

संतान परीक्षण वंशावली चयन कार्यक्रम के कार्यान्वयन के माध्यम से 6 स्वदेशी मवेशी और भैंसों की नस्लों के विकास और संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है।

  • ऋण उपलब्धता एवं बीमा के माध्यम से संस्थागत सहायता प्रदान करना।
  • स्वदेशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक गुणों से युक्त बैल के वीर्य के उत्पादन और आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ‘सेंट्रल फ्रोजेन सीमेन प्रोडक्शन एंड ट्रेनिंग इंस्टिटड्ढूट’ के दायरे को बढ़ाना।
  • बीमारी के प्रकोप के दौरान समय पर हस्तक्षेप सुनिश्चित करना, जिसके अंतर्गत बुल मदर फार्मों का सुदृढ़ीकरण जैसे कार्यों को शामिल करना।
  • सैनिटरी और फाइटो-सेनेटरी (एसपीएस) मुद्दों को समाप्त करने के बाद प्रजनकों और किसानों को जोड़ने के लिए गोजातीय जर्मप्लाज्म के लिए ई-मार्केट पोर्टल बनाना।
  • दुधारू पशुओं की बिक्री के लिए पशु कल्याण कार्ड के साथ टैगिंग अनिवार्य करना।
  • 2023-24 तक 300MT के दुग्ध उत्पादन को दो-गुना करने के मिशन को प्राप्त करने के लिए, उन पहलों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, जो एक बार प्रभाव उत्पन्न न कर उत्प्रेरक की कार्य करें।

चुनौतियां

  • देश के घरेलू मवेशियों की बहुत कम उत्पादकता।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता दबाव।
  • पशु पहचान और पता लगाने की क्षमता का अभाव।
  • सेनेटरी और फाइटो सेनेटरी मानकों को पूरा करने में असमर्थता।
  • स्वस्थ और रोगग्रस्त जानवरों के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट जानकारी की उपलब्धता के सम्बन्ध में कोई प्रणाली या डेटा नहीं होना।
  • जानवरों से इंसानों में बीमारियों का प्रसार।
  • अपर्याप्त पशु चिकित्सा सेवाएं और साथ ही पशु प्रजनन, उत्पादकता, उपचार और टीकाकरण के रिकॉर्ड का खराब रख-रखाव।
  • हरे चारे सहित पौष्टिक आहारों की कमी, जो दुधारू पशुओं के पोषण को प्रभावित करता है।
  • उचित पोषण की अनुपस्थिति के कारण उन्नत नस्ल की गायों के आनुवांशिक दूध उत्पादन क्षमता का पूरी तरह से दोहन नहीं किया जाना।
  • जीवित जानवरों और उनके उत्पादों का अविकसित और असंगठित बाजार।
  • बिचौलियों की एकश्रृंखला जो उत्पादकों को उनके हिस्से के लाभ से वंचित कर वास्तविक लाभ को प्राप्त करता है।