बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP)

सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में बाल लिंगा अनुपात (CSR) प्रति 1000 पुरुषों पर 919 महिलाएँ थीं, जो 2001 के 1000 पुरुषों पर 927 से कम है।

भारत में घटते CSR (नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व) को रोकने के लिए 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना शुरू की गई थी। इसके उद्देश्यों में शामिल हैं-

  • पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन।
  • बालिकाओं का अस्तित्व, सुरक्षा एवं शिक्षा सुनिश्चित करना।

रणनीतियां

बालिका और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक आंदोलन तथा समान मूल्य को बढ़ावा देने के लिए जागरुकता अभियान का कार्यान्वयन करना। इस मुद्दे को सार्वजनिक विमर्श का विषय बनाना एवं उसे संशोधित करते रहना। न्यूनतम लिंगानुपात वाले जिलों की पहचान कर, गहन और एकीकृत कार्रवाई करना।

  • सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में स्थानीय महिला संगठनों/युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित करना।
  • पंचायती राज संस्थाओं, स्थानीय निकायों और जमीनी स्तर पर जुड़े कार्यकर्त्ताओं को प्रेरित एवं प्रशिक्षित करते हुए सामाजिक परिवर्तनों के प्रेरक की भूमिका में ढालना।
  • जिला/ब्लॉक/जमीनी स्तर पर अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-संस्थागत समायोजन को सक्षम करना।
  • बीबीबीपी योजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कार्य योजना की परिकल्पना की गई थीः
    1. गर्भावस्था और संस्थागत प्रसव के शुरुआती पंजीकरण को बढ़ावा देना।
    2. पंचायतों द्वारा हर महीने नवजात लड़कों और लड़कियों की संख्या के साथ गुड्डा-गुड्डी बोर्ड प्रदर्शित करना।
    3. बाल विवाह के लिए पंचायतों को जिम्मेदार बनाना।
    4. निम्न सीएसआर वाले 100 जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों का संसदीय मंच बनाना।

मुद्दे और सुझाव

मुद्दे

  • पिछले 3 वर्षों (2019 तक) के प्रदर्शन में निम्नलिखित मुद्दे सामने आये हैं:
  • कोष/धन की अकुशल आवंटन होता है। 3 साल के लिए 368 करोड़ रुपये आवंटन का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से पहले 2 वर्षों में केवल 200 करोड़ जारी किए गए और बाकी राशि अंतिम वर्ष में जारी की गयी।
  • कार्यान्वयन से सम्बंधित चुनौतियां, जैसे अंतर-मंत्रलयी समन्वय, त्रैमासिक बैठकें आयोजित न होना और जवाबदेही का अभाव आदि।
  • असंतुलित व्यय पद्धति होना, जिसमें संचार/जागरुकता सृजन के लिए 47% व्यय, जबकि शिक्षा जरूरतों के लिए केवल 5% धन को आबंटित किया जाना।

सुझाव

  • शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी हस्तक्षेपों के लिए नियोजित व्यय आवंटन में वृद्धि करने के साथ ही समय पर निधियों के वितरण को सुनिश्चित करना चाहिए।
  • जिला स्तरीय कार्यबल का नेतृत्व जिला मजिस्ट्रेट के बजाय स्थानीय महिला कार्यकर्त्ताओं के पास होना चाहिए और योजना का उचित निष्पादन का ऑडिट भी किया जाना चाहिए।
  • सीएसओ (केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन) की प्रोत्साहन और भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना।