डेटा संचालित खोजों और उद्यम क्षमता का पूर्ण लाभ उठाने के लिए भारत को डिजिटल संचार के लिए एक व्यापक डेटा सुरक्षा व्यवस्था और उपयुक्त संस्थात्मक तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। इस परिदृश्य में व्यक्तियों की निजता, स्वायत्तता और चयन की सुरक्षा एवं डिजिटल संचार संरचना और सेवाओं को सुरक्षित रखने के लिए ‘निजी डेटा संरक्षण विधेयक, 2018’ को लागू किया गया। सामान्य रूप से ‘‘डेटा सुरक्षा कानून’’, उन नीतियों और प्रक्रियाओं की ओर इंगित करता है, जो व्यक्तिगत डेटा के संग्रह और उपयोग के कारण किसी व्यक्ति की गोपनीयता में घुसपैठ को न्यूनतम करने से जुड़ा है।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान समय में भारत के नागरिकों के निजी डेटा या सूचना का उपयोग, ‘सूचना प्रौद्योगिकी कानून-2000’ की धारा 43A के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी (उचित सुरक्षा व्यवहार और प्रक्रिया तथा संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा या सूचना) नियम-2011 से संचालित है।
डेटा सुरक्षा के मुद्दे से निपटने के लिए जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में ‘भारत के डेटा सुरक्षा ढांचे पर विशेषज्ञों की समिति’ बनाई गई थी। समिति ने डेटा सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की जांच की, उनसे निपटने के तरीकों की सिफारिश की और एक डेटा सुरक्षा विधेयक का मसौदा तैयार किया। निजी डेटा संरक्षण विधेयक-2018, सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के साथ ही सूचना का अधिकार कानून 2005 में भी महत्वपूर्ण संशोधन करता है और जनहित के बावजूद निजी हानि के आधार पर निजी डेटा का खुलासा नहीं करने की अनुमति देता है।
विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधान
विधेयक की आलोचना
डिजी यात्रा: हवाई अड्डों पर डिजिटल पहचान नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हवाई अड्डों पर यात्रियों की बायोमेट्रिक पहचान के लिए डिजिटल प्रसंस्करण आधारित ‘डिजी यात्रा’नामक एक नीति जारी की है। इस पहल के तहत यात्री जब नाम, ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर आदि जैसे न्यूनतम विवरण साझा करता है, तो उसे एक डिजी यात्रा पहचान पत्र (आईडी) आवंटित किया जाता है। यह आईडी टिकट की बुकिंग के समय एयरलाइंस और प्रस्थान हवाई अड्डे के साथ साझा की जाती है। प्रस्थान की तारीख में यात्री के हवाई अड्डे पर पहुंचते ही चेहरे की बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली उसकी पहचान कर लेती है। यह यात्रियों की सहज आवाजाही और यात्री यातायात को संभालने के साथ-साथ हवाई अड्डे में बेहतर यात्री अनुभव सुनिश्चित करता है। |
आगे की राह