दुनिया भर के नीति निर्माता अपनी विकास रणनीति में एक संक्रमणकालीन बदलाव के साक्षी बन रहे हैं, जो केंद्रीकृत योजना से साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की ओर बढ़ रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा डैश बोर्ड के माध्यम से प्रगति की वास्तविक समय (real time) निगरानी करने से नागरिकों के जीवन और आर्थिक उत्पादकता की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ा है।
‘‘आकांक्षी जिलों का परिवर्तन’’ कार्यक्रम नीति आयोग द्वारा एक ऐसी पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में प्रतिस्पर्धी संघवाद की संस्कृति को बढ़ावा देकर 117 पिछड़े जिलों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार करना है। यह कार्यक्रम प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों जैसे कि प्रसवपूर्व देखभाल, सीखने की कला, कृषि मूल्य प्राप्ति, मुद्रा ऋण का संवितरण, सड़क संपर्क आदि पर राज्यों की वास्तविक समय निगरानी और रैंकिंग सुनिश्चित करता है।
कार्यक्रम के मुख्य सिद्धांत
कार्यक्रम की पांच मुख्य विषय-वस्तु
कार्यक्रम की मुख्य रणनीति
मानव पूंजी सूचकांक देशों की ‘‘मानव पूंजी’’ की शक्ति को मापने और तुलना करने के लिए पहले वैज्ञानिक अध्ययन का आयोजन विश्व बैंक के अनुरोध पर इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) द्वारा किया गया था। रैंकिंग चार मापदंडों पर आधारित हैः जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के वर्ष, सीखना और कार्यात्मक स्वास्थ्य। शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में अपने कार्यबल पर निवेश के मामले में दुनिया में 195 देशों की सूची में भारत 158वें स्थान पर है। अपने दक्षिण एशियाई साथियों के साथ तुलना करने पर भी यह नीचे है। जैसे-जैसे विश्व अर्थव्यवस्था डिजिटल तकनीक पर निर्भर होती जा रही है, कृषि से लेकर सेवा उद्योग और विनिर्माण तक, स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि तथा चौथी औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा देने के लिए सशक्त मानव पूंजी का महत्व बढ़ रहा है। |
कार्यक्रम की आलोचना
आगे की राह