इस सम्मेलन को COP-19 के नाम से भी जाना जाता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ़ेकवर्क कंवेशन (यूएनएफसीसीसी) के सदस्यों का 19वां सम्मेलन पोलैंड की राजधानी वारसा में 11 नवंबर से 22 नवंबर 2013 को संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में विश्व के लगभग 200 देशों के प्रतिनिधियों ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन की समस्या और उसके समाधान के लिए चर्चा की गई। वारसा जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि इसमें भाग लेने वाले देशों ने वार्ता के गतिरोध को दूर कर दिया। इसके साथ ही इस मंच के लक्ष्यों में से एक 2015 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए एक वैश्विक संधि की रूपरेखा तैयार की गई। यह समझौता यूरोपीयन देशों को अच्छा नहीं लगा परन्तु विकासशील देशों में आपसी सहमति बनी। सम्मेलन में भारत ने जलवायु परिवर्तन पर यूएनएफसीसीसी के तहत स्वीकृत इस सिद्धान्त को दोहराया कि जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी को बचाने का दायित्व सबका है लेकिन इसके लिए अधिक जिम्मेदार विकसित देश हैं।