जैविक समूह विकसित करने और किसानों को रसायन मुक्त खाद उपलब्ध कराने के लिए 300 करोड़ रु- के परिव्यय के साथ एक नई योजना ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ लागू की गई। जैविक उत्पादन पद्धति को बढ़ावा देने के उद्देश्य तथा अलग से पर्याप्त मात्र में निधि आवंटित करने के लिए सरकार की यह बड़ी पहल थी।
50 एकड़ भू-जोतधारक अथवा अधिक किसानों के समूहों को ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ के अंतर्गत जैविक खेती शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। अगले तीन सालों में 10,000 समूह संगठित करने का प्रस्ताव है, जिसके अंतर्गत 5 लाख एकड़ भूमि को शामिल किया जाएगा। समूह के प्रत्येक किसान को 20,000 प्रति एकड़ के हिसाब से जैविक कृषि में बदलने एवं इसे अपनाने हेतु और बाजार सहायता उपलब्ध कराने के लिए यह धनराशि 3 वर्षों के लिए दी जाएगी।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष योजना है और जिसका आवंटन 125 करोड़ रु- है। जैविक कृषि एवं जैविक उर्वरक के उपयोग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किसानों के लिए अनुदान राशि को रु- 100 से बढ़ाकर रु- 300 प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। परंपरागत कृषि विकास योजना कार्यक्रम का क्रियान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा।