हरित क्रांति के नाम पर खेतों में कीटनाशकों और खाद के रूप में रसायनों का जमकर प्रयोग किया गया। इन रसायनों ने हमारे किसानों का उत्पादन तो बढ़ाया लेकिन साथ ही हमारी प्राकृतिक संपदा का भरपूर दोहन भी किया। इससे मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीव और सूक्ष्म पादप कम होते गए। परिणामस्वरूप जमीन बंजर बनती चली गयी और उत्पादन निम्न गुणवत्ता वाला और कम होने लगा। इसके बाद लोगों और सरकार का ध्यान फिर भारत की पुरानी परंपरा यानी जैविक खेती की ओर गया।