विधुत क्षेत्र में किये गये सुधारों की बदौलत वर्तमान में 3000-4000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली राज्यों को और वितरण कंपनियों को दिन के किसी भी समय रियल टाइम पर उपलब्ध हैं और पॉवर एक्सचेंज में बिजली रियायती दर पर उपलब्ध है।
विगत तीन वर्षों के अंदर भारत की कुल बिजली क्षमता लगभग एक तिहाई (31 प्रतिशत या 76,577 मेगावाट अतिरिक्त) बढ़ी है। बिजली क्षमता 2014 के 243 गीगावाट से बढ़कर मार्च 2017 में 320 गीगावाट हो गई और परम्परागत या कोयला आधारित बिजली क्षमता (जो देश की समग्र बिजली क्षमता का प्रमुख आधार है) बिजली क्षमता एक चौथाई यानी 26 प्रतिशत अर्थात् मार्च 2014 के 214 गीगावाट से बढ़कर मार्च 2017 में 270 गीगावाट हो गई।
विधुत ऐप इनमें जीएआरवी (ग्रामीण बिजलीकरण) ऐप है, जो देश के गांवों और घरों में बिजलीकरण से संबंधित नवीनतम जानकारियां उपलब्ध कराता है। उजाला (एलईडी बल्ब) ऐप एलईडी वितरण के बारे में रियल टाइम जानकारी उपलब्ध कराता है। विद्युत प्रवाह (बिजली उपलब्धता और मूल्य) ऐप बिजली मूल्य और उपलब्धता के बारे में रियल टाइम जानकारी उपलब्ध कराता है। ऊर्जा ऐप (शहरी ज्योति अभियान) के माध्यम से उपभोक्ता शहरों में बिजली वितरण कंपनियों के कार्य प्रदर्शन को देख सकते हैं। यह एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) के आंकड़े प्रदान करता है। तरंग (ट्रांसमिशन निगरानी प्रणाली) ऐप भारत में ट्रांसमिशन प्रणाली की प्रगति की देखरेख करता है। उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) योजना की प्रगति बताती है और बिजली वितरण कंपनियों की अतीत, वर्तमान तथा भविष्य की समस्याओं के स्थायी समाधान का आश्वासन देती है। ऊर्जा मित्र ऐप के माध्यम से नागरिक रियल टाइम आधार पर बिजली कटने की जानकारी ले सकते है। |
वर्ष 2014 में ऊर्जा अभाव 42,428 मिलियन यूनिट (4.2 प्रतिशत) की थी, जो 2017 में कम होकर 7,459 मिलियन यूनिट (0.7 प्रतिशत) हो गयी। इसी तरह 2014 में शीर्ष ऊर्जा अभाव 6,103 मिलियन यूनिट (4.5 प्रतिशत) थी, जो 2017 में कम होकर 2,608 मिलियन यूनिट (1.6 प्रतिशत) रह गयी।
पिछले तीन वर्षों में यानी 2014-2017 में बिजली उत्पादन में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यदि उजाला जैसी ऊर्जा सक्षमता गतिविधियां नहीं चलाई गई होतीं, तो बिजली उत्पादन में और वृद्धि होती। वर्ष 2014-16 में बिजली उत्पादन में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और यदि हम ऊर्जा सक्षमता गतिविधियों के कारण टाले गये उत्घ्पादन को जोड़े तो यह वृद्धि 9.5 प्रतिशत की होगी।
बिजली ट्रांसमिशनः विद्युत क्षेत्र में परिवर्तन केवल विधुत उत्पादन से नहीं होता। बिजली ट्रांसमिशन क्षेत्र में भी उचित कदम उठाये गये। इसके परिणामस्वरूप पिछले तीन वर्षों में शानदार वृद्धि दिखी। सरकार के ‘एक देश, एक मूल्य और एक ग्रिड' पहल के अनुरूप ट्रांसमिशन क्षेत्र में 36 प्रतिशत (एक तिहाई) की वृद्धि हुई। मार्च 2014 में ट्रांसमिशन क्षमता 5,30,546 एमवीए से बढ़कर मार्च 2017 में 7,22,949 एमवीए हो गई।
बिजली से वंचित गांवों को जोड़ने और ग्रामीण लोगों की जिदगी में परिवर्तन लाने के लिए प्रधानमंत्री ने 25 जुलाई, 2015 को पटना में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) के अंतर्गत ग्रामीण बिजलीकरण कार्यक्रम की घोषणा की। वर्ष 2014 में बिजली से वंचित गांवों की संख्या 18,452 थी। सरकार के सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष फोकस के साथ चलाये गये इस कार्यक्रम से 12 मई, 2017 तक 18,441 गांवों में से 13,123 से अधिक गांवों में बिजली कनेक्शन प्रदान करके नई उपलब्धि हासिल की गई।
ऊर्जा क्षमता अभियान ‘उजाला' (Unnat Jyoti by Affordable LEDs for All : UJALA) के अंतर्गत सरकार की ओर से लगभग 23 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे गये और निजी कंपनियों ने 33 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे। इस कदम से उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में प्रतिवर्ष 20,000 करोड़ रूपये की बचत हुई।
भारत के विद्युत क्षेत्र के सुधार में सबसे बड़ा योगदान सरकार की उदय योजना यानी ‘बिजली वितरण कंपनी आश्वासन योजना' (Ujwal DISCOM Assurance Yojana: UDAY) का है। यह योजना 20 नवंबर, 2015 को आरंभ हुयी थी। आकिारिक रूप से इस स्कीम में शामिल होने वाला पहला राज्य झारखंड था। इस योजना से बिजली वितरण कंपनियों में बड़ा परिवर्तन हुआ है। बिजली वितरण कंपनियों को पहले बिजली क्षेत्र के सुधार की सम्पूर्ण कड़ी में सबसे कमजोर कड़ी माना जाता था।