2049 में चीनी गणराज्य की 100वीं वर्षगाँठ है इस उपलक्ष्य में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में, 2049 तक चीन की, एशिया, यूरोप और अफ्रीका में व्यापक पहुंच बनाने के लिए व्ठव्त् परियोजना प्रस्तावित की थी। जिसे 2049 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इस परियोजना को आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
ओबोर पर क्या होनी चाहिये भारत की रणनीति?
सर्वप्रथम जब तक चीन के साथ, चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का हल न निकले तब तक भारत को ओबोर पर चीन के साथ बात नहीं करनी चाहिए, क्योंकि भारत की सम्प्रभुता सर्वाेपरि है। साथ ही चीन को यह एहसास कराना होगा कि भारत अभी एशिया की तीसरी बड़ी अर्थवयवस्था है। तथा जल्द ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थवयवस्था होगी साथ ही भारत एक बड़ा बाजार है। भारत के ओबोर में शामिल न होने से ओबोर के सफल होनें की कल्पना भी संभव नहीं है। चीन भी यह समझता होगा कि 2000 वर्षों तक भारत चीन से हर मामले में आगे रहा और अभी भी भारत के पास अकूत संभावनाएँ हैं। अगर चीन वर्तमान है तो भारत भविष्य है।
वर्तमान में भू-राजनीति (geo - politics) को अर्थव्यवस्था से अलग नहीं किया जा सकता दोनों एक-दूसरे पर आश्रित हैं। जापान और दक्षिण कोरिया का भी चीन से बहुत विवाद है लेकिन वे चीन में तब भी बहुत ज्यादा निवेश कर रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह कि आर्थिक मुद्दे को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। वैसे भी वर्तमान समय में बहुध्रुवीय विश्व में, बड़ी शक्तियों के मध्य समन्वय, वैश्विक शासन व्यवस्था का एक अच्छा मार्ग बनकर उभर रहा है। इसलिए अगर चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का कोई हल निकलता है (जैसे इसको ओबोर का भाग न मानना, इसका नाम बदलना या भारत के घोषित क्षेत्र के लिए भारत से समझौता करना न की पाक से या भारत पाक दोनों से एक अंतरिम समझौता करना आदि) तब निम्नलििखत बातों को ध्यान में रखते हुए ओबोर में शामिल हुआ जा सकता है-