पाक जलडमरूमध्य में मछली पकड़ने गए भारतीय मछुआरों पर गोलीबारी की कई घटनाओं से श्रीलंका की नौसेना कर्मियों पर प्रश्न उठता रहा है। भारतीय मछुआरों की यंत्रीकृत ट्रॉलर का उपयोग करने के कारण यह मुद्दा उठ रहा है। जो उनके मछली पकड़ने के लिए तमिलों सहित श्रीलंकाई मछुआराें के भूभाग में दाखिल होते हैं। ये यंत्रीकृत ट्रॉलर उनकी मछली पकड़ने की नौकाओं और पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाते हैं। श्रीलंका सरकार भारत द्वारा पाक जलडमरूमध्य क्षेत्र में यंत्रीकृत ट्रॉलर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहता है।
भारत सरकार ने हमेशा श्रीलंका सरकार के साथ प्राथमिकता के आधार पर भारतीय मछुआरों की सुरक्षा की मांग की है। 730 से अधिक मछुआरे पिछले 30 वर्षों में मारे जा चुके हैं। दोनों देशों के बीच विवाद भारत में घरेलू राजनीतिक कारणों से जटिल है। भारतीय मछुआरों के अधिकांश अवैध रूप से श्रीलंकाई जल में मछली पकड़ने पर पकड़े गए है जोकि तमिलनाडु के दक्षिण भारतीय राज्य से जातीय तमिल हैं और उन लोगों का तर्क है कि श्रीलंका द्वारा जिस जल पर दावा किया गया है वह ऐतिहासिक दृष्टि से तमिल मछुआरों से शोषित किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून में कहा गया है कि दूसरे देशों के समुद्रों में अवैध मछली पकड़ने की स्थिति में भी घुसपैठियों पर गोली नहीं चलाई जानी चाहिए। भारत और श्रीलंका के बीच, इसके लिए अक्टूबर 2008 को एक समझौता किया गया इसके बाद समुद्र के बीच में गिरफ्रतारियों और गोलीबारी की घटनाओं में कमी (या, लगभग बिल्कुल नहीं) के एक युग की शुरुआत हुई। इसमें कोई संदेह नहीं कि एसएलएन द्वारा भारतीय समुद्र सीमा को कोई भी उल्लंघन, निर्दाेष मछुआरों द्वारा श्रीलंका के समुद्र को कोई उल्लंघन कहीं ज्यादा बड़ा एक मुद्दा है जिसमें भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं क्षेत्रीय एकजुटता शामिल है।
दुनिया के कई इलाकों में मछली पकड़ने को लेकर ऐसे झगड़े चल रहे हैं। इंडोनेशिया और उसके पड़ोसी देश भी- गैरकानूनी रूप से मछली पकड़ने वालों के खिलाफ इंडोनेशिया ने युद्ध छेड़ दिया है। इंडोनेशिया ने एक बार फिर अपनी जल सीमा के भीतर गैरकानूनी रूप से मछली पकड़ रही 81 नावों को डुबो दिया। अदन की खाड़ी में भी ऐसी ही समस्याएं सामने आ चुकी हैं। सोमालिया के आस पास बड़ी कंपनियों ने आधुनिक जहाजों के मदद से इतने बड़े पैमाने पर मछली पकड़ी कि स्थानीय लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया।