बाल्टिक सागर क्षेत्र के समुद्री पर्यावरण की रक्षा पर हेलसिंकी में 1974 में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह प्रथम अंतरराष्ट्रीय समझौता था जिसमें प्रदूषण के सभी श्रोतों पर विचार किया गया चाहे वे पृथ्वी, सागर अथवा वायु के हों। हेलसिंकी सम्मेलन में तेल और अन्य प्रदूषणकारी पदार्थों द्वारा जलीय प्रदूषण को नियंत्रित करने के क्षेत्र में सहयोग के नियमन पर बल दिया गया।
इसी के आधार पर 1992 में हेलसिंकी में ही एक और सम्मेलन हुआ जिसमें बाल्टिक सागर क्षेत्र के देशों तथा यूरोपीय आर्थिक संघ के सदस्यों द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। 1 जनवरी 2000 को यह समझौता पूर्ण हुआ तथा 1974 के हेलसिंकी सम्मेलन को समाप्त कर दिया गया।
भारत द्वारा अब तक किए गए प्रयास
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