जैव-मंडलीय सुरक्षित क्षेत्र प्रतिनिधि पारिस्थतिक प्रणाली में आनुवंशिक विविधता बनाये रखने वाले बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्र होते हैं। जैव मंडलीय क्षेत्रें के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैंः
पौधों, जीव-जंतुओं तथा सूक्ष्म जीवों की विविधता तथा एकता को बनाये रखना।
पारिस्थितिकी विज्ञान तथा पर्यावरण संबंधी अन्य मामलों में अनुसंधान को प्रोत्साहन देना।
शिक्षा, जागरुकता तथा प्रशिक्षण की सुविधाएं प्रदान करना। ज्ञातव्य है कि यूनेस्को के ‘मैन एंड बायोस्फेयर’ कार्यक्रम के अंतर्गत 1974 में जैव-मंडलीय सुरक्षित क्षेत्र की अवधारणा लागू की गयी थी। इसका मुख्य उद्देश्य पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्रें की जैव संपदा का संरक्षण करना तथा स्थानीय लोगों के विकास की व्यवस्था करना है, ताकि जैव संपदा पर उनकी निर्भरता कम हो और वे खुद इस प्रक्रिया में भागीदार बन सकें। केन्द्र सरकार द्वारा 1979 में स्थापित विशेषज्ञों के एक दल ने देश के 14 संभावित क्षेत्रें में जैव-मंडलीय सुरक्षित क्षेत्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया था। अब तक 15 जैव-मंडलीय क्षेत्र स्थापित किये जा चुके हैं।