इन लक्ष्यों को पांच भागों में बांटा गया है।
भाग 1 - सामरिक/रणनीतिक लक्ष्य A: जैवविविधता ह्रास के कारणों को मुख्य धारा में लाना और सरकार व समाज को उससे अवगत कराना।
लक्ष्य 1: 2020 तक अंतिम रूप से लोग जैव-विविधता के मूल्यों को पहचानने लगे और जैव-विविधता संरक्षण एवं धारणीय उपयोग के लिए आगे आएं।
लक्ष्य 2: 2020 तक अंतिम रूप से राष्ट्रीय एवं स्थानीय विकास और गरीबी कम करने की रणनीति एवं योजना के साथ जैव-विविधता मूल्यों को एकीकृत करना है।
लक्ष्य 3: 2020 तक नवीनतम जैव-विविधता के लिए हानिकारक सब्सिडी, प्रोत्साहन या प्रलोभन को समाप्त करना है। नकारात्मक प्रभाव को कम करने या खत्म करने के लिए सुधार करना तथा जैव-विविधता के संरक्षण एवं सतत् विकास के सकारात्मक प्रोत्साहन का विकास करना। राष्ट्रीय सामाजिक आर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कर्तव्यों एवं शांति को नियमित बनाए रखने के लिए तत्पर रहना।
लक्ष्य 4: 2020 तक अंतिम रूप से सरकारों, हितधारकों को प्रत्येक स्तर पर जैव-विविधता मूल्यों का संरक्षण करते हुए विकास करना है या प्राकृतिक संसाधनों की जैविक सीमा को ध्यान में रखते हुए सतत् उत्पादन एवं उपभोग को सुनिश्चित करना है।
भाग 2 रणनीतिक/सामरिक लक्ष्य B: जैव-विविधता पर प्रत्यक्ष दबाव को कम करते हुए धारणीय उपयोग को बढ़ावा देना।
लक्ष्य 5: 2020 तक प्राकृतिक आवास (जिनमें वन एवं अन्य वनस्पति स्थान सम्मिलित हैं) की ह्रास दर को कम से कम आधे तक लाना है और इसे शून्य तक ले आने का लक्ष्य रखना है। आवासों में गिरावट एवं विखण्डन को विशेष रूप से कम करना है।
लक्ष्य 6: 2020 तक सभी मछलियां एवं अकशेरूकी जीवों एवं जलीय पौधों का वैधानिक एवं पारितंत्र आधारित दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए सतत् रूप में प्रबंधन एवं उत्पादन करना है।
लक्ष्य 7: 2020 तक जैव-विविधता संरक्षण सुनिश्चित करते हुए कृषि, जल-कृषि (Aquaculture) और वानिकी को सतत् रूप से प्रबंधित करना है।
लक्ष्य 8: 2020 तक प्रदूषण को कम करते हुए प्रदूषक तत्वों के उपयोग को उस स्तर तक ले आना है जहां वे जैव-विविधता एवं पारितंत्र के लिए लाभदायक हों।
लक्ष्य 9: 2020 तक विदेशी आक्रामक प्रजातियों के वर्ग की पहचान सुनिश्चित करनी है। पहचान की गई प्रजातियों को नष्ट करते हुए उन मार्गों का प्रयोग करना है जिन मार्गों से उनका आगमन होता है।
लक्ष्य 10: 2015 तक प्रवाल भित्तियों पर जलवायु परिवर्तन समुद्री अम्लीकरण तथा मानव के दबाव को कम करना है ताकि उनको कार्यप्रणाली और उत्पादकता को सुनिश्चित किया जा सके।
भाग 3 रणनीतिक/सामरिक लक्ष्य (Strategic Goal-C): पारितंत्रीय प्रजातीय और आनुवंशिक विविधता को सुनिश्चित करते हुए जैव-विवधता की स्थिति को मजबूत करना।
लक्ष्य 11: 2020 तक अंतः स्थलीय जल, एवं समुद्री क्षेत्रें को सुरक्षित करना है। वैसे क्षेत्र जो जैव-विविधता एवं पारितंत्र सेवा की दृष्टि से अधिक महत्व रखते हैं उनका प्रभावी एवं समान रूप से प्रबंधन सुनिश्चित किया जाना है। इन महत्वपूर्ण क्षेत्रें को संरक्षित क्षेत्रें एवं अन्य प्रभावी संरक्षण के उपायों द्वारा व्यापक परिदृश्य में स्वीकृत करना है।
लक्ष्य 12: 2020 तक संकटग्रस्त प्रजातियों को विलोपन से बचाते हुए उनके संरक्षण और उत्तरजीविता को सुनिश्चित करने के तरीकों में प्रभावी सुधार करना है।
लक्ष्य 13: 2020 तक कृषि पौधों एवं कृषि क्षेत्रें तथा पालतू एवं वन्यजीवों जो सामाजिक आर्थिक लाभ के साथ सांस्कृतिक महत्व के हैं उनके आनुवांशिक पदार्थों को संगृहीत करना तथा उनके आनुवांशिक पदार्थों के क्षरण को कम करने तथा सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए रणनीति तैयार करना।
भाग 4: राजनीतिक सामरिक लक्ष्य क्रू जैव-विविधता और पारितंत्र सेवाओं से प्राप्त लाभों में वृद्धि करना।
लक्ष्य 14: 2020 तक पारितंत्र, जो मूलभूत सेवाएं प्रदान करता है, (जैसे पानी, स्वास्थ्य, उत्तरजीविता के लिए पोषक तत्वों आदि की पूर्ति) की सुरक्षा और उन्हें पूर्व रूप में लाने के लिए प्रयास करना। महिलाओं, स्थानीय लोगों और गरीब एवं असहाय लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति को सुनिश्चित करना।
लक्ष्य 15: 2020 तक पारितंत्र के लचीलेपन (Resilience) और कार्बन भंडार में जैव-विविधता का योगदान बढ़ाते हुए पुनःस्थापन एवं संरक्षण के द्वारा कम से कम 15% निम्नीकृत या क्षयित पारितंत्र की पुनःस्थापना करना जिससे जलवायु परिवर्तन, निम्नीकरण एवं अनुकूलन का और मरुस्थलीय प्रतिरोधकता को प्राप्त किया जा सके।
लक्ष्य 16: 2015 तक आनुवांशिक संसाधनों पर पहुंच बढ़ाने हेतु नागोया प्रोटोकॉल को क्रियान्वित करने के लिए राष्ट्रीय कानूनों का निर्माण करना।
भाग 5: रणनीतिक/सामरिक लक्ष्य म्रू सहभागितापूर्ण नियोजन, ज्ञान प्रबंधन और क्षमता निर्माण के माध्यम से कार्यान्वयन में वृद्धि करना।
लक्ष्य 17: 2015 तक प्रत्येक दलों ने प्रभावी भागीदारी और अद्यतन राष्ट्रीय जैव-विविधता रणनीति एवं कार्य योजना को नीति के साधन रूप में अंगीकृत एवं विकसित करने का लक्ष्य रखा है।
लक्ष्य 18: 2020 तक स्थानीय एवं स्वदेशी लोगों/समुदाय के जैव-विविधता संरक्षण एवं सतत उपयोग से संबंधित उचित परम्परागत ज्ञान, नवाचार तथा उनकी सामुदायिक प्रथाओं का सम्मान करना राष्ट्रीय कानूनों एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का कर्तव्य है। सम्मेलन में स्थानीय एवं स्वदेशी लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
लक्ष्य 19: 2020 तक जैव-विविधता से संबंधित वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान, जैव-विविधता मूल्य, संरचना, स्थिति और प्रवृत्ति एवं जैव-विविधता क्षय के परिणामों के ज्ञान को सुधारते हुए जैव-विविधता ज्ञान को सभी के साथ साझा करते हुए लागू करना है।
लक्ष्य 20: 2020 तक अंतिम रूप से जैव-विविधता संसाधनों के लिए रणनीति को सुचारू रूप से लागू करने के लिए वित्त संसाधनों का उचित प्रवाह बनाए रखना।