जैव विविधता हॉट स्पॉट का सर्वप्रथम उपयोग ब्रिटिश पारिस्थितिकीविद नॉर्मन मायर्स ने सन् 1998 में किया था। नॉर्मन मायर्स के अनुसार उन क्षेत्रें को जैव विविधता हॉट स्पॉट कहते हैं जो पौधों, जन्तुओं एवं सूक्ष्मजीवों के समृद्ध जीवीय समुदायों को धारण करते हैं तथा जिनमें स्थानिक प्रजातियों का बाहुल्य होता है। इन्होंने 10 समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्रें को जैव विविधता हॉट स्पॉट कहा जाता है, जिनमें संवहनीय पौधों की 1500 स्थानिक प्रजातियां पाई जाती है तथा उनके मौलिक आवासों के 70 प्रतिशत भाग नष्ट हो गए हों। जैव विविधता हॉट स्पॉट को मेगाडाइवर्सिटी प्रदेश या मेगाडाइवर्सिटी स्थान भी कहते हैं। विश्व में जैव विविधता हॉट स्पॉट वाले स्थान निम्न हैं।
जैव विविधता के लाभ