फ्लोराइड आयन का पता लगाने की उपकरण मुक्त प्रौद्योगिकी
- 07 Aug 2020
अगस्त 2020 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (Institute of Nano Science and Technology- INST) के वैज्ञानिकों ने पीने के पानी में फ्लोराइड आयन का पता लगाने की उपकरण मुक्त प्रौद्योगिकी विकसित की है।
महत्वपूर्ण तथ्य: इसे फ्लोरोसिस-आधारित विकारों से बचाने में घरेलू उपयोग के लिए विकसित किया गया है तथा इसके परिचालन के लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होगी।
- इस तकनीक में 2,3-डिस्बस्टिट्यूटेड 1,1,4,4-टेट्रेसीनो-1,3-ब्यूटाडाइन्स (TCBD) पर आधारित एक पुश-पुल क्रोमोफोर (push-pull chromophore) शामिल है, जो फ्लोराइड आयन के संपर्क में आने पर रंग बदलता है। क्रोमोफोर एक अणु का हिस्सा होता है, जो इसके रंग के लिए जिम्मेदार होता है।
- फ्लोरोसिस (Fluorosis) एक गंभीर किस्म की बीमारी है, जो लंबे समय से पीने के पानी/खाद्य उत्पादों/ औद्योगिक प्रदूषण के माध्यम से फ्लोराइड के अधिक सेवन के कारण शरीर के कठोर और नरम ऊतकों में फ्लोराइड्स के जमाव से होती है।
- इसके परिणामस्वरूप, डेंटल फ्लोरोसिस (dental fluorosis), कंकाल फ्लोरोसिस (skeletal fluorosis) और गैर-कंकाल फ्लोरोसिस(non-skeletal fluorosis) बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
- विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार, पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), मोहाली (पंजाब) को नैनो मिशन के तहत स्थापित किया गया है। भारत में नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए इसे 2013 में शुरू किया गया।
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