जलवायु कार्रवाई
वैश्विक प्रतिबद्धता
- बहुपक्षीय जलवायु समझौते विकसित देशों को विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए बाध्य करते हैं।
- जलवायु कार्रवाई के लिए विकसित से विकासशील देशों की ओर संसाधनों का प्रवाह अपर्याप्त रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC)
- भारत के 2015 एनडीसी में उत्सर्जन तीव्रता को कम करना और गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बढ़ाना शामिल है।
- निर्धारित समय से पहले हासिल किए गए लक्ष्यः 43.9% गैर-जीवाश्म ईंधन-स्थापित बिजली क्षमता (नवंबर 2023), उत्सर्जन तीव्रता में 33% की कमी (2019)।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC)
- नौ मिशनों में सौर ऊर्जा, टिकाऊ कृषि, स्वास्थ्य और बहुत कुछ शामिल ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 आर्थिक परिदृश्य
- 2 लोचशीलता निर्मित करने की दिशा में भारत की जलवायु कार्रवाई
- 3 भारत का बाह्य क्षेत्र: अनिश्चितताओं के बीच सुरक्षित रूप से संचालन
- 4 कौशल विकास और उद्यमिता
- 5 पिछले दशक में रोजगार की स्थिति
- 6 महिला-नेतृत्व के माध्यम से विकासः India/100 के लिए लैंगिक लाभांश का दोहन
- 7 कल्याण के प्रति नया दृष्टिकोण
- 8 मानव संसाधान - कल्याण के साथ विकास को अनुकूलित करना
- 9 व्यापक आर्थिक स्थिरता की सुरक्षा
- 10 अर्थव्यवस्था की बढ़ती निवेश आवश्यकताएं तथा वित्तीय बाजारों का विकास
भारतीय अर्थव्यवस्था - एक समीक्षा
- 1 द इंडियन ग्रोथ स्टोरी (1950 से 2014)
- 2 2014 तक विकास के अनुभव से सीख
- 3 2014-2024: परिवर्तनकारी विकास का दशक
- 4 पिछले दशक में भारत के विकास के संचालक
- 5 भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां
- 6 चुनौतियों पर नियंत्रण हेतु सरकार के प्रयास
- 7 भविष्य के लिए दृष्टिकोण
- 8 घरेलू अर्थव्यवस्था
- 9 खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली कृषि क्षेत्र की नीतियां
- 10 भारतीय उद्योग में सुधार को बढ़ावा
- 11 डिजिटल अवसंरचना और नागरिक-केंद्रित सेवाओं की डिलीवरी
- 12 अर्थव्यवस्था की बढ़ती निवेश आवश्यकताएं तथा वित्तीय बाजारों का विकास
- 13 व्यापक आर्थिक स्थिरता की सुरक्षा
- 14 मानव संसाधान - कल्याण के साथ विकास को अनुकूलित करना
- 15 कल्याण के प्रति नया दृष्टिकोण
- 16 महिला-नेतृत्व के माध्यम से विकासः India/100 के लिए लैंगिक लाभांश का दोहन
- 17 पिछले दशक में रोजगार की स्थिति
- 18 कौशल विकास और उद्यमिता
- 19 भारत का बाह्य क्षेत्र: अनिश्चितताओं के बीच सुरक्षित रूप से संचालन
- 20 लोचशीलता निर्मित करने की दिशा में भारत की जलवायु कार्रवाई
- 21 आर्थिक परिदृश्य