महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय

भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता पितृसत्तात्मकता को माना जाता है। परंपरागत रूप से भारतीय पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की स्थिति निम्न है। वर्तमान भारतीय समाज में महिलाओं का सशक्तीकरण करना और लैंगिक न्याय उपलब्ध कराना एक चुनौती बनी हुई है।

  • इस समस्या का समाधान महिला सशक्तीकरण है। महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय एक दुसरे से संबंद्ध है। महिला सशक्तीकरण का अर्थ है महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक आदि क्षेत्रों से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ाने से है।
  • ऑक्सफैम के अनुसार, लैंगिक न्याय से तात्पर्य जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों के बीच पूर्ण ....
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