प्राचीन भारत में गणराज्य
वैदिक भारत के पितृसत्तात्मक-लोकतांत्रिक ‘मुकुटधारी गणराज्यों’, के साथ ही ऐतरेय ब्राह्मण में वर्णित वैराज्य या राजा रहित राज्यों के अतिरिक्त कुल-संघों और गणों को अर्थशास्त्र में एवं महाभारत में वर्णित राष्ट्रीयताओं को ‘समानता’ के सिद्धांत पर गठित होने के कारण ‘अजेय’ के रूप में संदर्भित किया गया है।
प्राचीन भारत में गणतंत्र : साहित्यिक साक्ष्य
वेद
वेदों में कम से कम दो प्रकार के गणतांत्रिक शासन का वर्णन किया गया है। पहला निर्वाचित शासकों वाला राजतंत्र था। दूसरे प्रकार की सरकार में राजशाही नहीं होती थी और सभी अधिकार एक परिषद या सभा को सौंप दी जाती थी।
- ऐसी सभाएं ....
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