स्वामी सहजानंद का बिहार में कृषक आन्दोलनों में योगदान पर आलोचनात्मक टिप्पणी।

अंग्रेजों के शोषण नीतियों के कारण किसान अपनी ही भूमि पर भूमिहीन मजदूर में बदल गए, किन्तु 1930 के दशक में भारतीय किसानों में एक नया राष्ट्रवादी जागरण आया। इस जागरण का परिणाम हम भारत समेत बिहार में किसान आन्दोलनों के अभ्युदय के रूप में देखते हैं।

  • बिहार में किसान आन्दोलनों का प्रारंभ 1917 में चंपारण में महात्मा गांधी के प्रथम सत्याग्रह से होता है। यहां नील, बगान मालिकों के तीन कठिया प्रणाली से किसानों को मुक्ति मिली।
  • चंपारण की सफलता ने बिहार के अन्य क्षेत्रें के किसानों को भी शोषण के विरुद्ध लड़ने हेतु प्रेरित किया।
  • 1919 में विद्यानंद के नेतृत्व में ....

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