बिहार की राजनीति में जाति एवं धर्म की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
बिहार में धर्म एवं जाति राजनीति के समानान्तर चलते रहे हैं। इसलिए धर्म एवं जाति व्यवस्था ने राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है। स्वतंत्रता के बाद से वर्तमान समय तक कई ऐसे अवसर आए, जब बिहार के चुनाव में धर्म एवं जाति के मुद्दे हावी रहे। बिहार ही नहीं, भारत के अधिकांश जगहों पर मतदाता राजनीतिक मुद्दों को जातीय दृष्टिकोण से देखते हैं। परिणामस्वरूप चुनाव परिणाम जातीयता एवं धार्मिकता से काफी प्रभावित रहते हैं। हालांकि वर्तमान समय में राजनीतिक चेतना के कारण विकास भी चुनाव में मुद्दा बन रहा है।
- बिहार की राजनीति में जाति एवं धर्म की भूमिका को ....
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- 4 राज्यपाल की शक्तियां एवं भूमिका की चर्चा बिहार के विशेष संदर्भ में कीजिए।
- 5 स्वामी सहजानंद का बिहार में कृषक आन्दोलनों में योगदान पर आलोचनात्मक टिप्पणी।
- 6 बिहार में तीव्र आर्थिक विकास में क्या बाधाएं हैं एवं उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है?
- 7 निम्न पर टिप्पणी लिखें: (i) बिहार में दलित आन्दोलन। (ii) राजेन्द्र प्रसाद की राष्ट्रीय आन्दोलन में भूमिका।
- 8 1857 के विद्रोह में कुंवर सिंह के बिहार तथा अन्य क्षेत्रें में सक्रिय भूमिका का मूल्यांकन करें।
- 9 मौर्य कला का भवन निर्माण तथा बौद्ध धर्म के साथ संबंध की विवेचना करें।
- 10 बिहार सरकार द्वारा औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे नीतिगत प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
मुख्य विशेष
- 1 मौर्य कला का भवन निर्माण तथा बौद्ध धर्म के साथ संबंध की विवेचना करें।
- 2 1857 के विद्रोह में कुंवर सिंह के बिहार तथा अन्य क्षेत्रें में सक्रिय भूमिका का मूल्यांकन करें।
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