​जनजातीय नृत्य : थेय्यम

थेय्यम शब्द का अर्थ 'भगवान' से है। यह उत्तरी केरल में लोगों की आस्था के मूर्त रूप को संदर्भित करता है।

  • थेय्यम एक सुंदर अनुष्ठान कला है, जो सटीकता के साथ चेहरे की पेंटिंग की कला को वाद्ययंत्रों के माध्यम से मंत्रमुग्ध करने वाली गतिशीलता (तांडव नृत्य) के साथ सम्बद्ध करती है।
  • थेय्यम कला वर्तमान समय में केरल के कासरगोड, कन्नूर, वायानाड और कोझिकोड जिले में प्रचलित है।
  • यह कला पड़ोसी कर्नाटक राज्य में 'भूटा कला' के नाम से भी जानी जाती है।
  • वर्ष 2018-19 में केरल सरकार द्वारा 'थेय्यम कला अकादमी' की स्थापना की घोषणा की गई थी।
  • थेय्यम कला मुख्य रूप से मलयार ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

पत्रिका सार