​सांस्कृतिक समरसता का संरक्षण आदिवासी कला का योगदान

मध्य प्रदेश के गोंड और झारखंड के संथाल जनजातियों के मध्य प्रचलित 'रंगीन पेंटिंग' स्थानीय भावनाओं का सार प्रस्तुत करती है।

  • छत्तीसगढ़ के बस्तर में 'मुरिया नृत्य' विचारों और भावनाओं के साथ जीवन की आध्यात्मिकता को प्रदर्शित करता है।
  • गुजरात और मध्य प्रदेश की राठवा, भिलाल और नायका जनजातियों के मध्य 'पिथौरा पेंटिंग' भारतीय जनजातीय कला का एक बेहतरीन उदाहरण है।
  • उड़ीसा की 'ढोकरा पीतल की मूर्तियां' प्राचीन कहानियों पर आधारित होती हैं। यहां प्रचलित पट्टचित्र कला को ताड़ के पत्तों पर चित्रित किया जाता है।
  • उड़ीसा की 'सौरा पेंटिंग' में प्राकृतिक वातावरण तथा स्वदेशी संस्कृतियों की झलक देखने को ....

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