क्षेत्रीय संपर्कः यह भारत को ईरान के साथ-साथ समुद्री, रेल और सड़क मार्गों वाले अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के माध्यम से रूस, ईरान, यूरोप और मध्य एशिया तक पहुंच को बढ़ाएगा। इसके माध्यम से भारत, पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान तक सीधे माल परिवहन कर सकता है। चाबहार बंदरगाह को मध्य एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा व्यापार के सुनहरे अवसरों का प्रवेश द्वार माना जाता है।
रणनीतिकः यह भारत को अरब सागर में चीन की उपस्थिति का मुकाबला करने में भी मदद करेगा। चीन द्वारा पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह विकसित किया जा रहा है, जो चाबहार से 100 किमी. से भी कम दूरी पर है।
सामरिकः चाबहार बंदरगाह को भारत द्वारा विकसित और संचालित किए जाने के साथ, ईरान भारत के लिए एक सामरिक सहयोगी भी बन गया है। यदि चीन, हिंद महासागर, फारस की खाड़ी और मध्य-पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के लिए ग्वादर बंदरगाह में नौसेनिक जहाजों को तैनात करने का फैसला करता है, तो भारत चाबहार का सैन्य इस्तेमाल भी कर सकता है। इसके माध्यम से भारत के लिए समुद्री और सड़क मार्ग से अफगानिस्तान पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा, इस स्थान तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान के रास्ते की आवश्यकता नहीं होगी।
व्यापारिकः चाबहार बंदरगाह भारत से लौह अयस्क, चीनी और चावल के निर्यात में उल्लेऽनीय वृद्धि करने में सहायक है। विभिन्न व्यापारिक कार्यों के समन्वय के केंद्र के रूप भी चाबहार बंदरगाह को इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऊर्जाः इस बंदरगाह का इस्तेमाल कच्चे तेल व यूरिया के परिवहन के लिए किया जाएगा। इससे भारत की परिवहन लागत में काफी बचत होगी।
शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल रणनीतिक महत्वः चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है; क्योंकि इसने पूर्व में रूस, ब्राजील, जर्मनी, थाईलैंड, ओमान, यूक्रेन, बांग्लादेश, रोमानिया, कुवैत, ऑस्ट्रेलिया, कुवैत, यूएई और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से आने वाले शिपमेंट को संभाला है।