संविधान (127वां संशोधान) विधोयक, 2021

अगस्त 2021 में 102वें संविधान संशोधन अधिनियम 2018 के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने के उद्देश्य से संविधान (127वां संशोधन) विधेयक 2021 प्रस्तुत किया गया, जिससे कि पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए राज्यों की शक्ति को पुनर्स्थापित करने में सहायता की जा सके।

  • 102वें संविधान संशोधन अधिनियम 2018 के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को (अनुच्छेद 338ठ के तहत) संवैधानिक दर्जा प्रदान किया था।

102वें संविधान संशोधन अधिानियम 2018 से संबंधिात प्रमुख तथ्य

इस संशोधन ने अनुच्छेद 342A, और 366(26C) को शामिल किया।

  • अनुच्छेद 342।: सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की केन्द्रीय सूची से संबंधित है।
  • अनुच्छेद 366(26C): सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को परिभाषित करता है।
  • नोटः मराठों के लिए आरक्षण कोटा को निरस्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि 102वें संविधान संशोधन अधिनियम 2018 के लागू होने के उपरांत केवल केंद्र सरकार ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को अधिसूचित कर सकती है, राज्य सरकार नहीं।

अन्य प्रमुख तथ्य

127वां संशोधन विधेयक अनुच्छेद 338B, 342A और 366 (26C) में संशोधन करके यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार तथा संघ शासित प्रदेशों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को अपनी राज्य सूची/संघ शासित प्रदेश सूची तैयार करने व उसे बनाए रखने का अधिकार है।

  • अनुच्छेद 15(4), 15(5) एवं 16(4)राज्य को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची की पहचान करने तथा उनकी घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • वर्ष 1993 से भारत OBC सूचियां केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा पृथक-पृथक तैयार की जाती हैं।