स्फ़ूर्त्ति योजना

परंपरागत उद्योगों के पुनरुद्धार के लिये कोष योजना (Scheme of Fund for Regeneration of Traditional Industries-SFURTI) उद्योगों को अत्यधिक उत्पादक एवं प्रतिस्पर्द्धी बनाने तथा ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के विचार से खादी, ग्रामोद्योग और कॉयर क्षेत्रों में पहचाने गए क्लस्टरों संबंधी परंपरागत उद्योगों के पुनर्सृजन के लिये 2005 में शुरू की गई थी।

उद्देश्यः इस स्कीम का उद्देश्य खादी, ग्राम एवं कॉयर क्षेत्रों में परंपरागत उद्योगों के एकीकृत क्लस्टर आधारित विकास के पुनर्सृजन हेतु सतत् और प्रतिकृति मॉडल स्थापित करना है। इससे परंपरागत एवं ग्रामीण उद्योगों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम(एमएसएमई) क्षेत्र के लिए 12 घोषणा

  • 2 नवंबर, 2018 को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए एक सहयोग एवं संपर्क कार्यक्रम शुरू किया। प्रधानमंत्री ने 12 प्रमुख घोषणाएं की जो देश भर में एमएसएमई के विकास और विस्तार के साथ-साथ उन्हें सहूलियतें देने में मदद करेंगी।
  • एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से 59 मिनट के भीतर 1 करोड़ रुपये तक का ऋण।
  • सभी जीएसटी पंजीकृत एमएसएमई के लिए ताजा या वृद्धिशील ऋणों पर 2% की ब्याज रियायत।
  • 500 करोड़ रुपये से अधिक के कुल कारोबार वाली सभी कंपनियों को टीआरईडीएस प्लेटफॉर्म पर मौजूदगी अनिवार्य होगी ताकि उद्यमियों को उनकी आगामी प्राप्तियों के आधार पर बैंकों से ऋण लेने में समर्थ बनाया जा सके। इस प्रकार इससे नकदी चक्र की समस्या दूर होगी।
  • सभी सार्वजनिक उपक्रमों के लिए कुल खरीद का 20 प्रतिशत के बजाय 25 प्रतिशत खरीद एमएसएमई से करना अनिवार्य होगा।
  • एमएसएमई से प्राप्त 25 प्रतिशत खरीद में से 3 प्रतिशत महिला उद्यमियों के लिए आरक्षित।
  • सभी केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को अनिवार्य रूप से जीईएम पोर्टल के माध्यम से खरीद करना होगा।
  • 6000 करोड़ रुपये की लागत से 100 प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किए जाएंगे। फार्मा क्लस्टर की स्थापना के लिए लागत का 70 प्रतिशत वहन भारत सरकार करेगी।
  • साल में एक बार 8 श्रम कानूनों और 10 केंद्रीय नियमों के तहत रिटर्न दाखिल करना होगा।
  • प्रतिष्ठानों का दौरान करने वाले निरीक्षक कम्प्यूटरीकृत रेंडम आवंटन के जरिये निर्णय लेंगे।
  • वायु और जल प्रदूषण कानूनों के तहत एकल सहमति। स्व-प्रमाणन के माध्यम से रिटर्न स्वीकार किए जाएंगे और केवल 10 प्रतिशत एमएसएमई इकाइयों का निरीक्षण किया जाएगा।
  • कंपनी अधिनियम के तहत मामूली उल्लंघनों के लिए उद्यमियों को अब अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ेगा, बल्कि वे उन्हें सरल प्रक्रियाओं के जरिये सही कर सकते हैं।