विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व नवाचार नीति 2020: समालोचनात्मक समीक्षा

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने और अगले दशक में वैज्ञानिक शोध एवं विकास के मामले में देश को विश्व के अग्रणी राष्ट्रों की पंक्ति में लाने के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है।

  • नई समस्याएं उभर रही हैं, जिन्हें केवल विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से ही हल किया जा सकता है। यह नीति इस दिशा में उठाया गया एक प्रभावी कदम है।
  • महत्वपूर्ण मानव संसाधन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ओर आकर्षित एवं पोषित करने के साथ-साथ उन्हें इस क्षेत्र में बनाए रखने के लिए इस नीति के अंतर्गत ‘जन-केंद्रित’ पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने पर जोर दिया गया है। नई नीति में, हर पांच साल में पूर्णकालिक समतुल्य शोधकर्ताओं की संख्या, शोध एवं विकास पर सकल घरेलू व्यय (जीईआरडी) और जीईआरडी में निजी क्षेत्र के योगदान को दोगुना करने पर भी बल दिया गया है।
  • ये तमाम प्रयास अगले दशक के दौरान विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में व्यक्तिगत एवं संस्थागत उत्कृष्टता स्थापित करने में मगार होंगे, और देश को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। नीति का मसौदा सार्वजनिक परामर्श एवं सुझाव के लिए उपलब्ध करा दिया गया है।

समावेशी भावना के मूल सिद्धांतों पर आधारित

  • यह नीति विकेंद्रीकरण, साक्ष्य-आधारित, नीचे से ऊपर केंद्रित दृष्टिकोण और समावेशी भावना के मूल सिद्धांतों पर आधारित है।
  • नई नीति के मसौदे को तैयार करने में देशभर में व्यापक विचार-विमर्श किया गया है, जिसमें पहली बार राज्यों की भागीदारी भी शामिल है।
  • मसौदा नीति में वैज्ञानिक शोध-पत्रों और साहित्य को देश में सभी के लिए सुलभ बनाने की बात भी कही गई है। यह पहल शोध-पत्रों के लिए संस्थागत सदस्यता के स्वरूप को बदल देगी।य्
  • पिछले काफी समय से चल रही परामर्श की चार चरणों वाली प्रक्रिया के माध्यम से नीति का मसौदा तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रित एक बेहतर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करके लघु, मध्यम और दीर्घकालिक मिशन मोड वाली परियोजनाओं के माध्यम से बड़ा बदलाव लाना है, जो व्यक्ति और संगठन दोनों स्तर पर अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देता है।
  • अनुसंधान और शिक्षा
  • यह नीति निर्माताओं को अनुसंधान इनपुट प्रदान करने और हितधारकों को एक साथ लाने के लिये शिक्षा अनुसंधान केंद्र (Education Research Centre) और सहयोगी अनुसंधान केंद्र (Collaborative Research Centre) स्थापित करने का प्रस्ताव करती है।
  • अनुसंधान और नवप्रवर्तन उत्कृष्टता फ्रेमवर्क (Research and Innovation Excellence Framework) की प्रासंगिकता का उद्देश्य हितधारकों के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाना है।
  • एक समर्पित पोर्टल सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान के आउटपुट तक पहुंच प्रदान करेगा जिसे इंडियन साइंस एंड टेक्नोलॉजी आर्चिव ऑफ रिसर्च (Indian Science and Technology Archive of Research) के माध्यम से बनाया जाएगा।
  • स्थानीय अनुसंधान और विकास क्षमताओं को बढ़ावा देने तथा चुनिंदा क्षेत्रों जैसे-घरेलू उपकरणों, रेलवे, स्वच्छ तकनीक, रक्षा आदि में बड़े स्तर पर आयात को कम करने हेतु बुनियादी ढांचा स्थापित करेगा।

भारत की सामरिक स्थिति

  • यह नीति आने वाले दशक में भारत को शीर्ष तीन वैज्ञानिक महाशक्तियों के बीच तकनीकि रूप से आत्मनिर्भर स्थिति प्राप्त करने में सहायक होगी।
  • प्रत्येक 5 वर्षों में पूर्णकालिक समकक्ष (Full-Time Equivalent) शोधकर्त्ताओं की संख्या, R-D पर सकल घरेलू व्यय (Gross Domestic Expenditure) और GERD पर निजी क्षेत्र के योगदान को दोगुना करने में सहायक।
  • एक रणनीतिक प्रौद्योगिकी बोर्ड (Strategic Technology Board) की स्थापना करना जो सभी सामरिक सरकारी विभागों को जोड़ेगा और खरीदी जाने वाली या स्वदेश निर्मित प्रौद्योगिकियों की निगरानी तथा अनुशंसा करेगा।

आगे की राह

  • कोविड-19 को देखते हुए बदलते समय के साथ नई समस्याएं उभर रही हैं, जिन्हें केवल विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से ही हल किया जा सकता है। यह नीति इस दिशा में उठाया गया एक प्रभावी कदम है।