डीप ओशन मिशन

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर अध्ययन करने और तापीय ऊर्जा (thermal energy) के स्रोत का पता लगाने के लिए एक अपतटीय समुद्री स्टेशन स्थापित करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित ‘डीप ओशन मिशन’ (Deep Ocean Mission) को मंजूरी दी है।

  • पांच वर्ष की अवधि वाले इस मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
  • ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ इस बहु-संस्थागत महत्त्वाकांक्षी मिशन को लागू करने वाला नोडल मंत्रालय होगा।
  • यह भारत सरकार की ‘ब्लू इकॉनमी’ पहल का समर्थन करने हेतु एक मिशन मोड परियोजना होगी। भारत ऐसी तकनीक वाला छठा देश होगा।

मिशन का उद्देश्य

भारत के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ का पता लगाने के प्रयासों को बढ़ावा देगा।

  • मानव सबमर्सिबल (Human Submersibles) के डिजाइन, विकास और प्रदर्शन को बढ़ावा मिलेगा।
  • गहरे समुद्र में खनन और आवश्यक प्रौद्योगिकियों के विकास की संभावना का पता लगाने में म करेगा।
  • हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति बढ़ेगी।
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चीन, कोरिया और जर्मनी जैसे अन्य देश भी इस गतिविधि में हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले हफ्रते, चीन ने मारियाना ट्रेंच के तल पर खड़ी अपनी नई मानव-निर्मित सबमर्सिबल की फुटेज को लाइव-स्ट्रीम किया था। यह ग्रह पर सबसे गहरी पानी के नीचे घाटी में इस मिशन का हिस्सा था।

डीप ओशन मिशन का लक्ष्य

गहरे समुद्र में खनन और मानव युक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकि का विकास।

  • महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास।
  • गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकि नवाचार।
  • गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण।
  • यह मिशन उन्नत तकनीको के द्वारा महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके तहत समुद्री जीव विज्ञान के बारे जानकारी जुटाने के लिये उन्नत समुद्री स्टेशन (एडवांस मरीन स्टेशन) की स्थापना की जाएगी।

महत्व

महासागर, विश्व के 70% हिस्से को कवर करते हैं और हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। महासागरों की गहराई में स्थित लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अभी भी खोजा नहीं जा सका है।

  • भारत तीन दिशाओं से महासागरों से घिरा हुआ है और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है, साथ ही महासागर मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका एवं ‘ब्लू इकॉनमी’ का समर्थन करने वाला एक प्रमुख आर्थिक कारक है।
  • फरवरी 2019 में घोषित ‘विजन ऑफ न्यू इंडिया-2030’ ‘ब्लू इकॉनमी’ को विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में उजागर करता है।
  • महासागर भोजन, ऊर्जा, खनिजों, दवाओं, मौसम और जलवायु के भंडार हैं और पृथ्वी पर जीवन के आधार हैं।
  • स्थिरता पर महासागरों के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2021-2030 के दशक को सतत् विकास हेतु महासागर विज्ञान के दशक के रूप में घोषित किया है।

पॉलीमेटालिक सल्फ़ाइड्स

  • इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य पॉलीमेटालिक नोडड्ढूल्स (PMN) का अन्वेषण और निष्कर्षण (Extraction) करना है,
  • समुद्र तली में लोहा, तांबा, जस्ता, चांदी, सोना, प्लेटिनम युक्त यह बहुधात्विक सल्फाइड (PMS) समुद्री क्रस्ट की चिमनी के माध्यम से गहराई में गर्म मेग्मा उमड़ने से तरल पदार्थ से बना अवक्षेप है।
  • PMS के दीर्घकालिक वाणिज्यिक एवं सामरिक लाभ ने दुनिया भर का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है।
  • ऐसा बताया जाता है कि पॉलीमेटालिक नोडड्ढूल्स (PMN) हिंद महासागर में लगभग 6000 मीटर की गहराई पर बिखरे हुए हैं और इनका आकार कुछ मिमी. से कुछ सेमी. तक का हो सकता है। PMN से प्राप्त धातुओं का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, स्मार्टफोन, बैटरी और सौर पैनलों में भी किया जाता है।