डीप फेक (Deep Fkae) झूठी खबरों का कहीं अधिक विकसित और खतरनाक रूप है- यह दुष्प्रचार और अफवाहों को तेजी से फैलाने का नया विकल्प बनकर उभरा है।
सामान्य झूठी खबरों को कई तरीके से जांचा जा सकता है वहीं डीप फेक को पहचान पाना किसी आम इंसान के लिए बेहद मुश्किल है।
कार्यविधि
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग कर किसी व्यक्ति द्वारा बोले गए शब्दों, शरीर की गतिविधि या अभिव्यक्ति को दूसरे व्यक्ति पर स्थानांतरित किया जाता है।
डीप फेक से नुकसान
किसी भी तकनीक का गलत इस्तेमाल विनाशकारी साबित हो सकता है। डीपफेक तथा झूठी खबरें भी इसका एक उदाहरण हैं।
भारत पर प्रभाव
वर्तमान में डीप फेक के रूप में चिह्नित अधिकांश मामले (लगभग 61%) अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम से संबंधित हैं, परंतु पिछले कुछ समय से दक्षिण कोरिया, जापान और भारत में भी ऐसे मामलों में तीव्र वृद्धि देखी गई है।
राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियाँ
डीप फेक जैसी तकनीकों के दुरुपयोग से राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है।