अन्य सेवा प्रदाता (ओएसपी) सेवा में सुधार सम्बन्धी विनियमन

सरकार ने आईटी-बीपीओ क्षेत्र में दूरसंचार नियमों को उदार बनाने के लिए एक बड़ा सुधार किया। विधिक भाषा में, इन्हें अन्य सेवा प्रदाता (ओएसपी) कहा जाता है। नए संशोधित एवं सरलीकृत ओएसपी दिशानिर्देश पहले नवंबर 2020 में तथा आगे जून 2021 में जारी किए गए। इससे पहले, ओएसपी को संशोधित नियम एवं शर्ते अन्य सेवा प्रदाता 2008 के तहत विनियमित किया गया था।

संबंधित दिशा-निर्देश

  • ओएसपी की स्पष्ट परिभाषाः नए दिशानिर्देशों की प्रयोज्यता उन संस्थाओं तक सीमित है, जो अपने ग्राहकों को ‘‘वॉयस-आधारित बीपीओ सेवाएं’’ प्रदान करती है। वॉयस-आधारित बीपीओ सेवा को कॉल सेंटर सेवा के रूप में परिभाषित किया गया है। नए दिशानिर्देशों ने स्पष्ट किया है कि नॉन-वॉयस-आधारित संस्थाएं ओएसपी व्यवस्था द्वारा नियंत्रित नहीं होंगी।
  • बैंक गारंटी की आवश्यकता को हटानाः इन दिशानिर्देशों के तहत किसी भी सुविधा या व्यवस्था के लिए किसी भी बैंक गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी।
  • घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय ओएसपी के बीच के अंतर को समाप्त करनाः ओएसपी का वर्गीकरण समाप्त कर दिया गया है और एक एकल ओएसपी श्रेणी को उनके घरेलू/अंतरराष्ट्रीय व्यापार संचालन की परवाह किए बिना पेश किया गया है।
  • ओएसपी के बीच इंटरकनेक्टिविटी की अनुमतिः एक या असंबंधित कंपनी के दो या दो से अधिक ओएसपी केंद्रों के बीच इंटरकनेक्शन की अब अनुमति है।
  • अवसंरचना को साझा करनाः ओएसपी के बीच अवसंरचना को साझा करने की अब अनुमति है। दिशानिर्देश विदेशी स्थानों पर ईपीएबीएक्स के उपयोग की अनुमति देता है। यह सुधार भारत में आईटी-बीपीओ उद्योग के विकास के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करेगा तथा अधिक आय और रोजगार पैदा करने में मदद करेगा।