औद्योगिक संबंध संहिता, 2020

यह संहिता तीन श्रम कानूनों (क) औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947, (ख) ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 और (ग) औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) एक्ट, 1946 का स्थान लेती है।

मुख्य बिंदुः केंद्र और राज्य सरकार ट्रेड यूनियन या ट्रेड यूनियन्स के परिसंघ को क्रमशः केंद्रीय या राज्य ट्रेड यूनियन्स के रूप में मान्यता दे सकती है तथा ट्रेड यूनियन के सात या उससे अधिक सदस्य उसे रजिस्टर करने का आवेदन कर सकते हैं।

  • संहिता नियोक्ताओं, श्रमिकों और ट्रेड यूनियन्स को अनुसूची में सूचीबद्ध अनुचित व्यवहार करने से प्रतिबंधित करती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • श्रमिकों को ट्रेड यूनियन्स बनाने से रोकना,
    • श्रमिकों के लिए नियोक्ता द्वारा प्रायोजित ट्रेड यूनियन बनाना,
    • श्रमिकों को ट्रेड यूनियन्स में शामिल होने के लिए जबदस्ती करना,
    • नियोक्ता की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, और
    • किसी श्रमिक को काम करने से रोकना।
  • इस संहिता की एक विशिष्ट विशेषता एक प्रतिष्ठान में एक ‘वार्ताकार यूनियन’ या एक ‘वार्ताकार परिषद’ का प्रावधान है, जिसमें ट्रेड यूनियन को एकमात्र ‘वार्ताकार यूनियन’ रूप में मान्यता दी जाएगी। यदि उस प्रतिष्ठान के मस्टर रोल (हाजिरी रजिस्टर) पर 51% या अधिक श्रमिकों का उस ट्रेड यूनियन को समर्थन हो