व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशाएँ (ओएसएच) संहिता, 2020

इस संहिता का उद्देश्य देश में अनेक श्रमिकों के लिए सुरक्षित और बेहतर कार्यदशाएं सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक विधायी ढांचा का निर्माण करना है।

  • यह संहिता सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा से संबंधित मौजूदा 13 श्रम कानूनों को सरल और सम्मेलित करती है। यह संहिता प्रावधानों के दायरों को बढ़ाती है और श्रमिकों के कवरेज को कई गुना बढ़ा देती है।
  • प्रतिष्ठानों में काम करने के लिए नियोक्ता द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में सीधे तौर पर नियुक्त किए गए अथवा लगाए गए श्रमिकों को शामिल करने हेतु अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार की परिभाषा को विस्तृत किया गया है, इस प्रकार प्रवासी श्रमिकों को कई तरह से लाभ मिल सकते हैं।

मुख्य सुधारः ओएसएच से संबंधित मौजूदा 13 अधिनियमों को सरलीकृत, युक्तिसंगत और समामेलित किया गया।

  • प्रवासी एवं सिनेमा/थिएटर कामगारों का दायरा बढ़ाया गया।
  • महिलाएं अब रात्रि की पाली में कार्य कर सकती है।
  • नियोक्ताओं की लागत पर श्रमिकों के लिए अनिवार्य वार्षिक स्वास्थ्य जांच।
  • कामगार की सहमति के बिना कोई समयोपरि कार्य नहीं।
  • नियुक्ति पत्र जारी करना अनिवार्य कर दिया गया।
  • यह सुधार मौजूदा तंत्र को प्रतिस्थापित करते हुए 5 साल की अवधि के लिए वैध।
  • एक एकल अखिल भारतीय लाइसेंस की शुरूआत और स्टार्ट-अप की तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट करना व्यवसायों के विकास के लिए और अधिक रोजगार सजिृत करने के लिए एक अनुकूल माहौल पैदा करेगा। सिनेमा कामगार को श्रव्य-दृश्य कामगार के रूप में नामित किया गया है, ताकि अधिक से अधिक कामगार ओएसएच संहिता के तहत कवर हो सकें। पहले यह सुरक्षा केवल फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों को दी जा रही थी।

लाभः इन श्रम सुधारों के बाद ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में देश की गति और बढ़ेगी। रोजगार सृजन और श्रमिकों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होगी।

  • इन चारों कोड का लाभ संगठित और असंगठित क्षेत्र यानी दोनों तरह के श्रमिकों को मिलेगा। अब कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), कर्मचारी बीमा के तहत सभी तरह की मेडिकल सुविधा के दायरे में सभी श्रमिक को लाभ प्राप्त होगा।