इसकी स्थपाना 1997 में की गई थी। इसकी प्रमुख सिफारिशों में लघु उद्योगो में सेवा उद्यमों को शामिल करना, लघु उद्योगों को संरक्षण देने की नीति के स्थान पर प्रोत्साहन प्रदान करने वाली नीति अपनाना, लघु व सूक्ष्म इकाइयों में निवेश की सीमा बढ़ाकर क्रमशः 3 करोड़ व 25 लाख रुपये करना तथा व्यावसायिक बैंक द्वारा सूक्ष्म उद्योगों को सहायता देना शामिल है।