सरकार द्वारा पेश नई सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान नीति और संपत्ति मुद्रीकरण रणनीति सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के निजीकरण और रणनीतिक विनिवेश के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दोहराती है।
मुख्य बिंदु
नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) में वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2025 में 111 लाख करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे में निवेश की परिकल्पना की गई है।
एनआईपी टास्क फोर्स की रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि इस परिव्यय का लगभग 15.17% परिसंपत्ति मुद्रीकरण, न्यू डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीटड्ढूशन (डीएफआई) आदि जैसी नवीन और वैकल्पिक पहलों के माध्यम से वित्त पोषण पूरा किया जाएगा
केंद्रीय बजट 2021-22 ने भी देश में उन्नत और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए तीन स्तंभों में से एक के रूप में संपत्ति के मुद्रीकरण पर जोर दिया। केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत संपत्ति मुद्रीकरण के लिए नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) विकसित किया गया है।
इसकी परिकल्पना सड़कों, रेलवे, शिपिंग, विमानन, बिजली, दूरसंचार, तेल और गैस तथा वेयरहाउसिंग क्षेत्रों में विभिन्न ब्राउनफील्ड अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) परिसंपत्तियों के परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए एक आवश्यक रोडमैप के रूप में की गई है।
एनएमपी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक, चार साल की अवधि में केंद्र सरकार के पास मुख्य संपत्ति के माध्यम से 6-0 लाख करोड़ रुपये की कुल मुद्रीकरण क्षमता है।
कुल पाइपलाइन मूल्य के लगभग 83% पर शीर्ष 5 क्षेत्र के नाम इस प्रकार हैं:
सड़कें (27%) इसके बाद रेलवे (25%), बिजली (15%), तेल और गैस पाइपलाइन (8%) एवं दूरसंचार (6%) का स्थान है।
चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) में 0.88 लाख करोड़ रुपये के सांकेतिक मूल्य वाली लगभग 15% संपत्ति की परिकल्पना की गई है।
‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (एनएलएमसी) को भारत सरकार के स्वामित्व वाली 100% इकाई के रूप में शामिल किया जा रहा है, जिसकी प्रारंभिक अधिकृत शेयर पूंजी रूपये 5000 करोड़ और अभिदत्त शेयर पूंजी रुपये 150 करोड़ है।