22 जुलाई, 2019 को लोकसभा ने सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया, जिसका उद्देश्य सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन करना है। विधेयक में राज्य और केंद्रीय सूचना आयुक्तों के कार्यकाल और वेतन को निर्धारित करने की शक्ति केंद्र सरकार को देता है।
मुख्य विशेषताएं
आरटीआई अधिनियम, 2005 |
आरटीआई (संशोधन) अधिनियम, 2019 |
CIC और IC के लिए कार्यकाल 5 वर्ष था। |
सरकार कार्यकाल अधिसूचित करेगी। |
CIC और IC का वेतन क्रमशः मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के बराबर होगा। |
इनका निर्धारण सरकार द्वारा किया जाएगा। |
समर्थन में तर्क
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) और केंद्रीय एवं राज्य सूचना आयोगों का अधिदेश अलग-अलग हैं। इसलिए, उनकी स्थिति और सेवा शर्तों को तद्नुसार तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है।
संशोधन की आलोचना
यह सूचना आयुक्तों के कार्यालय की स्वतंत्रता से समझौता कर सकता है।
निष्कर्ष
आरटीआई अधिनियम 2005
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम सार्वजनिक प्राधिकरण के पास उपलब्ध सूचना तक पहुँच प्रदान करता है।
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC)
केंद्रीय सूचना आयोग, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।