अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक, 2019 को 31 जुलाई, 2019 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया। यह अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 में संशोधन करेगा। इसका उद्देश्य कई मौजूदा न्यायाधिकरण के स्थान पर एकल केंद्रीय न्यायाधिकरण की स्थापना करके लंबे समय तक चलने वाले अंतर-राज्य जल विवादों के समाधान में तेजी लाना है।
पृष्ठभूमि भारत का एक बड़ा क्षेत्र अपेक्षाकृत शुष्क हैं, नागरिकों के कल्याण के लिए जल आवंटन तंत्र महत्वपूर्ण हैं। जल के कई उपयोग है; जिससे कल्याण में वृद्धि होती है, जैसे स्वच्छ पेयजल एवं स्वास्थ्य की रक्षा, कृषि के लिए सिंचाई और जलविद्युत शक्ति का उत्पादन आदि। भारत एक संघीय लोकतंत्र है और नदियां राज्य की सीमाओं को पार करती हैं, इसलिए नदी जल आबंटन के लिए कुशल और न्यायसंगत तंत्र का निर्माण लंबे समय से एक महत्वपूर्ण कानूनी और संवैधानिक मुद्दा रहा है। आजादी के बाद से कई अंतर-राज्यीय नदी-जल विवाद पैदा हुए। अस्पष्टतः और अपारदर्शिता के कारण विवाद निपटान प्रक्रिया धीमी है। |
चुनौतियां
भारत में नदी जल विवाद निपटान को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं-
मुख्य विशेषताएं
प्रभाव
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विधान की कमिया
सुझाव