राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019

8 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 कानून रूप से लागू कर दिया गया। यह अधिनियम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया अधिनियम, 1956 को प्रतिस्थापित करता है।

पृष्ठभूमि

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम के तहत की गई थी, जिसका मुख्य कार्य चिकित्सा क्षेत्र में उच्च योग्यता के एक समान मानक स्थापित करना और भारत एवं विदेश में चिकित्सा योग्यता को मान्यता देना था। हालांकि, गैर-जवाबदेह प्रशासन के साथ-साथ भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के मुद्दों ने एक नामांकन आधारित प्राधिकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। यह चिकित्सा शिक्षा प्रणाली के नियमन और आमूल-चूल परिवर्तन के लिए आवश्यक था। यह अधिनियम भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 को निरस्त करता है और वर्तमान एमसीआई को भंग करता है।

उद्देश्य

यह चिकित्सा शिक्षा प्रणाली प्रदान करने वाला अधिनियम है, जो गुणवत्तापूर्ण और सस्ती चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच में सुधार करता है। इसके साथ ही देश के सभी हिस्सों में पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। यह समान और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देता है, जो सामुदायिक स्वास्थ्य परिप्रेक्ष्य को प्रोत्साहित करता है और सभी नागरिकों के लिए चिकित्सा पेशेवरों की सेवाएं सुलभ बनाता है। यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्रोत्साहन देता है और चिकित्सा सेवाओं के सभी पहलुओं में उच्च नैतिक मानकों को लागू करने के लिए एक चिकित्सा रजिस्टर के रख-रखाव की सुविधा प्रदान करता है। इस अधिनियम ने भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 को निरस्त कर एक चिकित्सा शिक्षा प्रणाली प्रदान करता है, जो सुनिश्चित करता हैः

  • पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता।
  • चिकित्सा पेशेवरों द्वारा नवीनतम चिकित्सा अनुसंधान को अपनाना।
  • चिकित्सा संस्थानों का आवधिक मूल्यांकन।
  • प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र।

मुख्य विशेषताएं

1. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठनः

अधिनियम में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की स्थापना को आवश्यक बनाता है। इसके साथ ही, 3 वर्ष के भीतर राज्य स्तर पर राज्य चिकित्सा परिषदों का गठन भी आवश्यक है। एनएमसी में 25 सदस्य होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। एक खोज समिति (Search Committee) केंद्र सरकार को अध्यक्ष और अंशकालिक सदस्यों के नामों की सिफारिश करेगी। खोज समिति में कैबिनेट सचिव समेत सात सदस्य होंगे और केंद्र सरकार द्वारा नामित पांच विशेषज्ञ (जिनमें से तीन को चिकित्सा क्षेत्र में अनुभव होगा) होंगे।

  • आयोग में केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किए जाने वाले निम्नलिखित व्यक्ति शामिल होंगेः
    1. एक अध्यक्ष,
    2. 10 पदेन सदस्य,
    3. 22 अंशकालिक सदस्य।

एनएमसी के कार्यों में शामिल हैं:

  • चिकित्सा संस्थानों और चिकित्सा पेशेवरों को विनियमित करने के लिए नीतियों का निर्माण करना।
  • स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित मानव संसाधन और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं का आकलन करना।
  • राज्य स्वायत्त बोर्डों के बीच समन्वय सुनिश्चित करना और अधिनियम के तहत बनाए गए दिशा-निर्देशों का राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करना।
  • निजी चिकित्सा संस्थानों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में पचास प्रतिशत सीटों के शुल्क का निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश जारी करना।

2. चिकित्सा सलाहकार परिषदः

  • केंद्र सरकार एक मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल का गठन करेगी, जिसमें सदस्य के रूप में पदेन सदस्य और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुलपति के रूप में NMC के अध्यक्ष और सदस्य शामिल होंगे। परिषद प्राथमिक मंच होगा, जिसके माध्यम से राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अपने विचार और चिंताओं को एनएमसी के समक्ष रख सकते हैं। परिषद चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के न्यूनतम मानकों को निर्धारित करने और बनाए रखने के उपायों पर एनएमसी को सलाह देगी।

3. स्वायत्त बोर्डः स्वायत्त बोर्ड आयोग की देख-रेख में स्थापित किए जाते हैं। प्रत्येक स्वायत्त बोर्ड में एक अध्यक्ष और चार सदस्य (दो पूर्णकालिक और दो अंशकालिक) शामिल होंगे। ये बोर्ड हैं:

  • अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (UGMEB): यह स्नातक स्तर पर चिकित्सा शिक्षा के मानकों का निर्धारण, पाठ्यक्रम डिजाइन और अन्य सभी पहलुओं का निरीक्षण करेगा।
  • पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (PGMEB): अधिनियम के तहत, यह बोर्ड स्नातकोत्तर स्तर और सुपर-स्पेशलिटी स्तर पर चिकित्सा शिक्षा के मानकों का निर्धारण करेगा और पाठ्यक्रम से संबंधित सभी पहलुओं का निरीक्षण करेगा।
  • चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड (MARB): यह चिकित्सा संस्थानों के आकलन और रेटिंग प्रदान करने की प्रक्रिया को निर्धारित करेगा, ताकि मेडिकल संस्थानों के अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड या पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुपालन सुनिश्चित हो। इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियम और मानकों के अनुपालन के आधार पर नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना या सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए अनुमति प्रदान की जाएगी।
  • नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्डः यह सभी लाइसेंस प्राप्त चिकित्सकों के राष्ट्रीय रजिस्टरों को बनाए रखेगा। इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार चिकित्सा नैतिकता को बढ़ावा देगा और पेशेवर आचरण को विनियमित करेगा।

4. सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताः अधिनियम के निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करने पर, आयोग आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने, व्यक्ति को मध्य-स्तर पर चिकित्सा करने का सीमित लाइसेंस दे सकता है।

5. प्रवेश परीक्षाः इस अधिनियम के प्रावधानों द्वारा शासित सभी चिकित्सा संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर सुपर-स्पेशलिटी मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के लिए एक समान राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा होगी।

  • पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में एक सामान्य पूर्वस्नातक चिकित्सा परीक्षा (नेशनल एग्जिट टेस्ट) आयोजित की जाएगी। चिकित्सक के रूप में अभ्यास करने, लाइसेंस प्राप्त करने और राज्य रजिस्टर या राष्ट्रीय रजिस्टर में नामांकन के लिए इस परीक्षा को पास करना आवश्यक होगा।

प्रभाव

  • मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया पर भ्रष्टाचार और एक गैर जवाबदेह रवैया के आरोप थे। एनएमसी मेडिकल निरीक्षण में एक एकीकृत संस्थान का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • पाठ्यक्रम और स्वास्थ्य सेवा पेशेवर देश में मौजूदा मांग के अनुरूप नहीं है और कार्यनिर्वाह-क्षमता एवं कौशल की कमी है। इस प्रकार बोर्ड आवश्यक उद्देश्य पूरा करेगा।
  • स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर का अनैतिक व्यवहार रोगियों के जीवन को खतरे में डाल देता है, इसलिए एक अलग नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड समय की मांग है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निरीक्षण का अभाव एमसीआई की खराबी का कारण बना। इस प्रकार एनएमसी का निरीक्षण मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।
  • प्राथमिक देखभाल में स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी एक प्रमुख समस्या है; इसलिए मध्य-स्तर पर लाइसेंस देने का प्रावधान प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी को पूरा करेगा।

चुनौतियां

अधिनियम सरकार को अधिकृत करता है कि गैर-चिकित्सा डिग्री धारकों को सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं के रूप में चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति दे। यह प्रावधान देश में नीम हकीमी को प्रोत्साहित कर सकता है।

  • NMC के केवल 20 प्रतिशत सदस्य चुने गए प्रतिनिधि होंगे।
  • सिंगल एग्जाम (NEXT) को बहुत अधिक महत्व दिया जा रहा है, जो मेडिकल एस्पिरेंट्स के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
  • निजी शिक्षा शुल्क के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होते रहते हैं, क्योंकि मेडिकल फ्रेटरनिटी गैर-वित्तपोषित मेडिकल संस्थानों द्वारा ली जाने वाली फीस की अधिकतम सीमा पर नियंत्रण चाहती है। वर्तमान प्रणाली केवल 50% निजी सीटों के फीस की अधिकतम सीमा का निर्धारित करने की अनुमति देती है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि फीस अधिकतम सीमा का निर्धारित निजी कॉलेजों के प्रवेश को हतोत्साहित करेगा।
  • एनएमसी अधिनियम केंद्र सरकार को अध्यक्ष या आयोग के किसी अन्य सदस्य को हटाने की अनुमति देता है।

सुझाव

भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लगभग हर क्षेत्र में गुणवत्ता की आवश्यकता है। इस प्रकार, समय की आवश्यकता बिल के द्वारा प्रस्तावित नए परिवर्तनों के साथ प्रयोग करने की है, जो विशेष रूप से सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं से संबंधित है (छत्तीसगढ़ में समान 3 वर्षीय पाठ्यक्रम है)। हालांकि, पर्याप्त योजना और साक्ष्य आधारित प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ना उचित होगा।