सीडीएस और जॉइंटमैनशिप

अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों के तीनों विंगों को ‘शीर्ष स्तर पर प्रभावी नेतृत्व’प्रदान करने और उनके बीच समन्वय को बेहतर बनाने के लिए रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख (सीडीएस) के सृजन की घोषणा की। सीडीएस एक उच्च सैन्य कार्यालय है, जो तीनों सेनाओं के कामकाज की देखरेख और समन्वय करता है। दीर्घकालिक रक्षा योजना निर्माण एवं प्रबंधन, जनशक्ति, उपकरण तथा रणनीति में कार्यकारी (प्रधानमंत्री) के लिए एकल-बिंदु सलाह (single-point advice) की तरह कार्य करता है।

पृष्ठभूमि

  • के. सुब्रह्मण्यम समितिः सीडीएस के गठन का प्रस्ताव दो दशकों से विचाराधीन था। 1999 के कारगिल संघर्ष के बाद के. सुब्रह्मण्यम समिति का गठन उच्च सैन्य सुधारों की सिफारिश करने के लिए किया गया था, पहली बार इस समिति ने इसका सुझाव दिया। हालाँकि, सर्वसम्मति की कमी और आशंकाओं के कारण यह कभी आगे नहीं बढ़ा।
  • नरेश चंद्र समितिः 2012 में नरेश चंद्र समिति ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) के स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की सिफारिश की। यह सीडीएस से सम्बंधित आशंकाओं के निवारण के लिए बीच का मार्ग था।
  • डी.बी. शेकटकर समितिः लेफ्टिनेंट जनरल (retd.) डी.बी. शेकटकर द्वारा 99 सिफारिशें की गई, जिसमें से एक सीडीएस था। शेटककर समिति ने दिसंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें त्रि-सेनाओं से संबंधित 34 सिफारिशें थीं।

रक्षा योजना और खरीद से सम्बंधित मुद्दे

केआरसी रिपोर्ट ने बताया कि भारत एकमात्र प्रमुख लोकतंत्र है, जहां सशस्त्र सेना मुख्यालय शीर्ष सरकारी ढांचे के बाहर है। इसमें यह देखा गया कि सेना प्रमुख अपना अधिकांश समय अपनी संचालन भूमिकाओं के लिए समर्पित करते हैं, जिसका परिणाम अक्सर नकारात्मक होता है।

  • दिन-प्रतिदिन की प्राथमिकताएँ दीर्घकालिक रक्षा योजना पर हावी होती है।
  • प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को सैन्य कमांडरों के विचारों और विशेषज्ञता का लाभ उच्च स्तर के रक्षा प्रबंधन में नहीं मिल पाता है।
  • ‘थिएटर कमांड’के निर्माण में सीडीएस को महत्वपूर्ण माना जाता है, जो अमेरिकी सेना की तरह त्रि-सेवा संपत्ति और कर्मियों को एकीकृत करता है। उदाहरण के लिए, 2016 में चीन ने अपनी सैन्य एवं अन्य पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को पांच थिएटरों (पहले सात कमांड क्षेत्र) में एकीकृत किया, जिनमें से प्रत्येक का अपना स्वयं का समावेशी मुख्यालय है। इसमें से एक को भारतीय सीमा की जिम्मेदारी प्राप्त है। इसके विपरीत, चीन के साथ भारत की सीमा पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी कमांड के बीच विभाजित है।
  • भारत में विभिन्न स्थानों पर 17 सेवा कमांड हैं तथा इससे संपत्ति और संसाधनों का दोहरीकरण हो रहा है।
  • इस आलोक में, सरकार ने रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख (सीडीएस) का पद सृजित की, जो सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) का प्रमुख होगा। डीएमए त्रि-सेवाओं के लिए खरीद, प्रशिक्षण और स्टाफिंग में संयुक्तता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

सीडीएस की भूमिका

  • समन्वय योजना और अधिप्राप्तिः सीडीएस सरकार का एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार है और तीनों सेनाओं के दीर्घकालिक नियोजन, अधिप्राप्ति, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स का समन्वय करता है।
  • ऑपरेशंस में जॉइंट्समैनशिपः भविष्य के युद्ध छोटे, तेज और नेटवर्क केंद्रित होने के कारण, तीनों सेनाओं में समन्वय महत्वपूर्ण है। सीडीएस सभी त्रि-सेवाओं के मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेगा और तीनों सेना प्रमुख अपने संबंधित सेनाओं से सम्बंधित मामलों पर मंत्री को सलाह देते रहेंगे।
  • संसाधन का अनुकूलनः संसाधनों पर दबाव बढ़ने के साथ ही संसाधनों का इष्टतम उपयोग आवश्यक हो जाता है, इसे सम्मिलित योजना और प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। सीडीएस से इस भूमिका को निभाने की उम्मीद की जाती है, जो खरीद में अनुकूलन, सेवाओं के बीच दोहराव से बचाव और प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके ऐसा कर सकते हैं।
  • परमाणु मुद्दों पर सैन्य सलाहकारः भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश है। सीडीएस परमाणु मुद्दों पर प्रधानमंत्री के सैन्य सलाहकार के रूप में भी कार्य करेगा।

चुनौतियां

  • आंतरिक झगड़ाः तीनों सेनाओं - भारतीय थल सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेनाओं की भूमिका और कार्यप्रणाली पर इसका कैसे प्रभाव होगा, जिसमें उनके महत्व को बढ़ाने या घटने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
  • नौकरशाहीः नौकरशाही में एक समानांतर विचार चल रहा है कि इस तरह का परिवर्तन उन्हें कैसे प्रभावित करेगा। यह कदम डीएमए के सचिव के रूप में सीडीएस (चार सितारा जनरल) का पद स्थापित करता है।
  • स्पष्टता में कमीः इसकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए कोई स्पष्ट खाका नहीं दिखाई देता है। भारतीय राजनीतिक तंत्र बड़े पैमाने पर अनभिज्ञ होने या सुरक्षा मामलों के प्रति उदासीन रहने के लिए जाना जाता है, जो सीडीएस के कार्य में रुकावट पैदा करेगा।
  • परिवर्तन का विरोधः स्वभाव के कारण सेना परिवर्तन का विरोध करती हैं।
  • एकीकरणः विशेषज्ञों का कहना है कि देश की पहली सीडीएस के लिए प्रमुख चुनौती सशस्त्र बलों को एकीकृत करना होगा, ताकि वे निर्णय लेने की प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग ले सकें।

सुझाव

इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीडीएस का काम अत्यधिक चुनौतीपूर्ण होगा। आजादी के बाद से, सशस्त्र बल अलग-अलग काम कर रहे हैं, जिसमें संयुक्तता की कोई अवधारणा नहीं है। सीडीएस का कार्य पारंपरिक सैन्य मानसिकता के सम्पूर्ण परिवर्तन की मांग करता है।

  • सभी को कई कारणों से जल्द से जल्द बदलना होगा, जिसमें अमेरिकियों द्वारा अफगानिस्तान से बाहर निकलने की तैयारी, अनुच्छेद 370 के कमजोर पड़ने आदि के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के सुरक्षा वातावरण के समक्ष नई चुनौतियाँ शामिल हैं।