भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 26 अगस्त को 1.76 लाख करोड़ रुपये के लाभांश और अधिशेष भंडार को सरकार को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी। यह राशि राजकोषीय घाटे को बढ़ाए बिना धीमी होती अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में सरकार की मदद करेगी। आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान के नेतृत्व में आरबीआई के आर्थिक पूंजी ढांचे (ECF) की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया था, जिसने हस्तांतरण की सिफारिश की थी।
पृष्ठभूमि
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समिति की सिफारिशें
आरबीआई को ‘आकस्मिक जोखिम बफर’बनाए रखना चाहिए, जो ज्यादातर केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट के 5.5-6.5% के बीच होना चाहिए। चूंकि नवीनतम आकस्मिकता निधि की राशि आरबीआई की बैलेंस शीट का लगभग 6.8% थी, इसलिए अतिरिक्त राशि (5.5% से अधिक) सरकार को हस्तांतरित की जानी चाहिए (लगभग 52,000 करोड़ रुपये)।
प्रभाव
ढांचे की समीक्षा के परिणामस्वरूप अतिरिक्त पूंजी को मुक्त किया जाएगा, जिसे आरबीआई तब सरकार के साथ साझा कर सकता है, जब अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो रही हो और सरकार को धन की तत्काल आवश्यकता हो।
सुझाव
सरकार ने बजट में उम्मीद जताई थी कि रिजर्व बैंक से 90,000 हजार करोड़ रुपया मिलेगा, लेकिन उससे भी 86,000 करोड़ अधिक रुपया मिलने वाला है। यह एक बार प्राप्त होने वाला अप्रत्याशित लाभ है और यह इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि कर राजस्व- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों कर, अपनी क्षमता से बहुत कम हैं। इसलिए समय की मांग है कि कर के पारंपरिक स्रोतों में सुधार किया जाए; जैसे कर आधार बढ़ाना, प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में सुधार, कर- जीडीपी अनुपात सुधारना आदि।