सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में खान मंत्रालय ने राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 की समीक्षा करने के लिए डॉ. के. राजेश्वर राव की अध्यक्षता में 14 अगस्त, 2017 को एक समिति का गठन किया। खान मंत्रालय ने समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर, प्राप्त अनुशंसाओं के आधार पर खान मंत्रालय ने राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 को अंतिम रूप दिया।
पृष्ठभूमि खनिज एक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है, जो अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है। खनिजों की खोज, निष्कर्षण और प्रबंधन को राष्ट्रीय लक्ष्यों और दृष्टिकोणों द्वारा निर्देशित किया जाता है, ताकि देश की आर्थिक विकास की समग्र रणनीति के साथ एकीकृत किया जा सके। 02 अगस्त, 2017 को कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए निर्णयों के कारण राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 मौजूदा राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 की जगह ली। ओडिशा राज्य में अवैध खनन के मामलों पर एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह 2008 की राष्ट्रीय खनिज नीति को संशोधित करे, क्योंकि यह नीति तत्कालीन चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अन्य संस्थानों के सहयोग से उचित सर्वेक्षण और अन्वेषण के माध्यम से वैज्ञानिक खनन को प्रोत्साहित करने, बेहतर खनन प्रथाओं को अपनाने, अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने तथा अनाधिकृत गतिविधियों को नियंत्रित करने की जरूरत पर जोर दिया था। |
राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 की मुख्य विशेषताएं
इसका उद्देश्य खनन संस्थाओं के विलय और अधिग्रहण को आसान बनाना, अन्वेषण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करना, खनन लीज के हस्तांतरण और समर्पित खनिज गलियारों का निर्माण करना है।
प्रभाव
जैसा कि भारत 2025 तक 350 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, उसी अनुरूप राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 देश में खनिज उपयोग के संबंध में रूपरेखा तैयार करती है।